नई दिल्ली,राष्ट्रीय सुरक्षा पर चल रहे कार्यक्रम में राफेल डील मामले पर केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि कांग्रेस राज में रक्षा सौदे में लेटलतीफी की वजह कमीशनखोरी थी। प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा था कि यूपीए सरकार ने वायुसेना, नौसेना और थल सेना की जरूरत की अनदेखी की। जावड़ेकर ने कहा, अटल जी की सरकार ने फैसला किया था कि वायुसेना को फाइटर प्लेन चाहिए, 2004 तक उसका डिटेल तैयार हुआ, 2007 में टेंडर निकाले गए, इसमें तीन साल लगे…2012 में पांच साल गंवाने के बाद टेंडर फाइनल हुआ कि राफेल लेना है, लेकिन हमने इसके लिए विवाद नहीं किया…हम चाहते थे कि इस जल्दी खरीदा जाए। उसी समय फाइल पर मजेदार नोटिंग हुई।
जावड़ेकर के आरोपों का जवाब देते हुए मनीष तिवारी ने कहा कि संसद की प्राक्कलन समिति के चेयरमैन मुरली मनोहर जोशी हैं। इस कमेटी ने रिपोर्ट जारी कर कहा कि पिछले साल में राष्ट्रीय सुरक्षा पर जो खर्चा अभी है वो उसी स्तर पर है जो 1962 में था। जावड़ेकर को उनकी रिपोर्ट देखनी चाहिए। इसके बाद मनीष तिवारी ने आगे कहा कि सुरक्षा की स्थायी समिति के चेयरमैन बीसी खंडूरी हैं जो कि बीजेपी के ही सदस्य हैं। मनीष तिवारी के मुताबिक खंडूरी ने कहा है कि पिछले चार वर्ष में एक बहुत ही संयोजित तरीके से राष्ट्रीय सुरक्षा को कमजोर किया जा रहा है। ये दोनों ही कमेटी कांग्रेस के नहीं है। इसमें बीजेपी के सदस्य प्रमुखता से हैं, इन कमेटियों की रिपोर्ट को पढ़ने से पता चलेगा कि राष्ट्रीय सुरक्षा को कमजोर किसने किया।
मनीष तिवारी ने कहा कि अगर ये सरकार पूर्व रक्षा मंत्री एंटनी जी की नोटिंग को देख लेती, उस प्रक्रिया की जांच कर लेती तो 2014 में ही राफेल आ जाता। लेकिन आपने 126 जहाज की खरीद की प्रक्रिया को रद्दकर 36 कर दिया। पूर्व केंद्रीय मंत्री के आरोपों का जवाब देते हुए प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि दुनिया में रक्षा सौदे की प्रक्रिया पर इस तरह से नोटिंग कहीं नहीं की जाती है। उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार में राफेल को चुनने पर सहमति हो गई, लेकिन राफेल को चुना कैसे गया इसकी जांच की बात कह दी गई। केंद्रीय मंत्री ने कहा,किस चीज की राह देखी जा रही थी, क्यों सौदा टाला जा रहा था…क्या कमीशन का मुद्दा था…इसलिए कांग्रेस के जमाने में रक्षा सौदे में जो लेट-लतीफी हुई उसका एक बड़ा कारण कमीशनखोरी थी। प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि अगस्ता हेलिकॉप्टर डील में मिशेल से पूछताछ में जो चीजें सामने आ रही है वह भी चौकाने वाले तथ्यों की ओर इशारा कर रही है। इस लेटलतीफी के बारे में पूछना देश का अधिकार है। केन्द्रीय मंत्री ने मनीष तिवारी से पूछा कि ये उनसे किसने कहा कि 36 राफेल विमान ही खरीदने वाले है।