ED को आशंका चंदा कोचर ने टैक्स हैवेन में जमा किए वीडियोकॉन और एस्सार समूह से मिले रिश्वत के पैसे

मुंबई,आईसीआईसीआई (आईसीआईसीआई) बैंक की पूर्व मुख्य कार्यकारी (सीईओ) चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर के खिलाफ धन शोधन मामले की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय ने शंका जताई है कि दो कंपनियों द्वारा कथित तौर पर कोचर दंपति को दी गई रिश्वत की रकम को टैक्स हेवन में जमा किया गया है। एजेंसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा हमने पैसों की हेराफेरी को लेकर कोचर दंपति, उनके रिश्तेदारों और उनके कुछ सहयोगियों से पूछताछ की है। पूछताछ और छापेमारी के दौरान जब्त किए गए कुछ दस्तावेजों से हमारे हाथ कुछ अहम सुराग लगे हैं, जिससे संकेत मिलता है कि रिश्वत में मिले पैसे टैक्स हैवन में जमा कराए गए। अधिकारी ने कहा कि टैक्स हेवन के नाम का खुलासा नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा हम सूचना की प्रामाणिकता की पुष्टि करने का प्रयास कर रहे हैं। नाम का खुलासा करने से जांच में बाधा पहुंचेगी।
आईसीआईसीआई की पूर्व सीईओ चंदा कोचर के खिलाफ वीडियोकॉन और एस्सार समूह से जुड़ी कंपनियों को लोन देने के बदले फायदा लेने के आरोपों की जांच चल रही है। इन कंपनियों के साथ उनके पति दीपक कोचर के कारोबारी रिश्ते थे। अधिकारी ने बताया कि अब तक हम इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि वीडियोकॉन और फर्स्टलैंड होल्डिंग्स की ओर से दीपक कोचर की कंपनी न्यूपावर रिव्यूएबल्स (एनआरएल) को दी गई रकम कुछ और नहीं, बल्कि रिश्वत थी।
कोचर दंपति को यह रिश्वत चंदा कोचर द्वारा विडियोकॉन ग्रुप कंपनी को लोन देने के बदले उस समय दी गई थी, जब चंदा कोचर आईसीआईसीआई बैंक की सीईओ के पद पर कार्यरत थीं। विडियोकॉन ग्रुप को 2012 में आईसीआईसीआई बैंक से 3,250 करोड़ रुपए का कर्ज दिया गया था। यह लोन कुल 40 हजार करोड़ रुपए का एक हिस्सा था, जिसे वीडियोकॉन समूह ने स्टेट बैंक आफ इंडिया (एसबीआई) के नेतृत्व में 20 बैंकों से लिया था। वीडियोकॉन समूह के चेयरमैन वेणुगोपाल धूत पर आरोप है कि उन्होंने 2010 में 64 करोड़ रुपए न्यूपावर रिन्यूएबल्स प्राइवेट लिमिटेड (एनआरपीएल) को दिए थे। इस कंपनी को धूत ने दीपक कोचर और दो अन्य रिश्तेदारों के साथ मिलकर खड़ा किया था।
आरोप है कि चंदा कोचर के पति दीपक कोचर समेत उनके परिवार के सदस्यों को कर्ज पाने वालों की तरफ से वित्तीय फायदे पहुंचाए गए। आरोप है कि आईसीआईसीआई बैंक से लोन मिलने के 6 महीने बाद धूत ने कंपनी का स्वामित्व दीपक कोचर के एक ट्रस्ट को 9 लाख रुपए में ट्रांसफर कर दिया।

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