कोलकाता,आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस और सीपीएम में सीटों के बंटवारे को अब तक अंतिम रूप नहीं दिया जा सका है। इस बीच, कांग्रेस की बंगाल इकाई ने साफ कर दिया है कि अगर लेफ्ट फ्रंट उसके लिए रायगंज और मुर्शिदाबाद संसदीय सीट उनके लिए नहीं छोड़ता है, तो वह अगले कुछ दिनों में होने वाले आम चुनाव में अपने दम पर उतरने को तैयार है। हालांकि, सीपीएम ने भरोसा जताया है कि दोनों दलों के बीच गतिरोध खत्म हो जाएगा और कोई न बीच का रास्ता निकाल लिया जाएगा। दरअसल, सीपीएम ने पश्चिम बंगाल में कांग्रेस और वाम मोर्चे के कब्जे वाली छह सीटों पर आगामी लोकसभा चुनाव में एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव न लड़ने की बात सोमवार को कही। सीपीएम के इस प्रस्ताव से यह संकेत मिलता है कि वह भाजपा विरोधी मतों को मजबूत करने के लिए राज्य में दो राजनीतिक खेमों में एक समझ कायम करना चाहती है। सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा पश्चिम बंगाल में केंद्रीय समिति ने निर्णय लिया था कि भाजपा विरोधी तृणमूल कांग्रेस विरोधी वोट बंटने न देने के लिए मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) उचित तरीके अपनाएगी।
इसके अनुसार, सीपीएम ने लोकसभा की मौजूदा छह सीटों पर एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव न लड़ने का प्रस्ताव दिया है। इन सीटों पर कांग्रेस और वाम मोर्चे का कब्जा है। बाकी सीटों के लिए बंगाल में वाम मोर्चा 8 मार्च को फैसला लेगा। सीपीएम के इस फैसले पर कांग्रेस की तरफ से कोई आधिकारिक बयान तो नहीं आया है पर पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि पार्टी रायगंज और मुर्शिदाबाद सीटों पर कतई समझौता नहीं करेगी। इस बीच बंगाल में कांग्रेस नेतृत्व ने साफ कहा है कि अगर वाम मोर्चा रायगंज और मुर्शिदाबाद संसदीय सीट उनके लिए नहीं छोड़ता है, तो वह अकेले ही सियासी मैदान में उतर सकती है। ये दोनों सीटें कांग्रेस की गढ़ मानी जाती हैं। हालांकि, पिछले लोकसभा चुनाव में चतुष्कोणीय मुकाबले में सीपीएम ने रायगंज और मुर्शिदाबाद सीटें जीत ली थीं। इधर, सीपीएम नेताओं का कहना है कि बिमान बोस (लेफ्ट फ्रंट के चेयरमैन) पहले ही मोहम्मद सलीम का नाम रायगंज से ऐलान कर चुके हैं। दोनों दलों के गठजोड़ के बीच नया पेच यह फंस गया है कि कांग्रेस विधायक नेपाल महतो पुरुलिया से लड़ना चाहते हैं, जहां लेफ्ट की सहयोगी पार्टी फॉरवार्ड ब्लॉक भी लड़ना चाहती है।
बंगाल कांग्रेस मुखिया सोमन मित्रा ने ट्वीट किया, ‘कांग्रेस एक स्थायी गठबंधन की राह देख रही है जो 2021 में होने वाले विधानसभा चुनाव में भी कारगर हो। यदि इस तरह का गठबंधन नहीं होता है तो कांग्रेस अपने दम पर बंगाल में लोकसभा चुनाव लड़ेगी। इस बीच कांग्रेस की दीपा दास मुंशी ने कहा कि वह रायगंज सीट से इस बार चुनाव लड़ना चाहती हैं। 2014 लोकसभा चुनाव में वह सीपीएम पोलित ब्यूरो मेंबर मोहम्मद सलीम से 1634 वोटों से हार गई थीं।
इधर, कांग्रेस की पश्चिम बंगाल इकाई के नेता अधीर चौधरी ने कहा है कि विधायक अबू हिना मुर्शिदाबाद से कांग्रेस के संभावित प्रत्याशी हो सकते हैं। अधीर रंजन चौधरी ने नई दिल्ली में राहुल गांधी से मुलाकात करके राज्य में सीपीएम के साथ प्रस्तावित सीट बंटवारे को लेकर विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की।