बालाकोट में भारतीय वायुसेना ने तबाह की थीं जैश की 4 इमारतें

नई दिल्ली,भारतीय वायुसेना द्वारा बालाकोट में स्थित जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) के प्रशिक्षण केंद्रों पर हवाई हमले को लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ है। सूत्रों के अनुसार इस हवाई हमले में भारतीय वायुसेना ने जैश के 4 इमारतों को निशाना बनाया था जिसमें जैश का मदरसा तलीम-उल-कुरान भी शामिल था। अखबार ने सरकार के उच्च सूत्रों से बातचीत के आधार पर लिखा है कि इस हमले में कितने आतंकवादी मारे गए हैं इसका कोई सटीक आंकड़ा सामने इसलिए नहीं आ पा रहा है क्योंकि वहां से खुफिया जानकारी नहीं मिल पा रही है। इसलिए आतंकवादियों की संख्या पर कयास लगाए जा रहे हैं।खुफिया एजेंसियों के पास सिंथेटिक अपर्चर रडार (एसएआर) की तस्वीरों के तौर पर सबूत हैं। जिसमें चार इमारतें नजर आ रही हैं। इनकी पहचान उन लक्ष्यों के तौर पर हुई है जिन्हें कि वायुसेना के लड़ाकू विमान मिराज-2000 ने पांच एस-2000 प्रिसिजन गाइडेडे म्यूनिशन (पीजीएम) के जरिए निशाना बनाया था। यह इमारतें मदरसे के परिसर में थीं जिसे कि जैश संचालित कर रहा था। यह उसी पहाड़ी की रिज लाइन पर स्थित है जिसे कि वायुसेना ने निशाना बनाया था। पाकिस्तान ने इस बात को स्वीकार किया है कि उस क्षेत्र में भारत ने बमबारी की थी लेकिन उसने आतंकी ठिकानों को निशाना बनाए जाने या किसी तरह के नुकसान होने की बात को नकारा है।
एक अधिकारी का कहना है कि पाकिस्तानी सेना ने स्ट्राइक के बाद मदरसों को सील क्यों कर दिया? उसने मदरसे के अंदर पत्रकारों को जाने की इजाजत क्यों नहीं दी? हमारे पास एसएआफ तस्वीरों के तौर पर सबूत हैं जो दिखाते हैं कि इमारत का इस्तेमाल अतिथिगृह के तौर पर होता था। जहां मौलाना मसूद अजहर का भाई रहता था। एल आकार वाली इमारत में प्रशिक्षु रहा करते थे। दोमंजिला इमारत का इस्तेमाल मदरसे में प्रवेश करने वाले छात्रों के लिए होता था और अन्य इमारत में अंतिम कॉम्बैट का प्रशिक्षण पाने वाले प्रशिक्षु रहते थे। यह सभी बमबारी की चपेट में आ गए। अधिकारी ने कहा कि यह राजनीतिक नेतृत्व पर निर्भर करता है कि वह उन तस्वीरों को जारी करके उन्हें सार्वजनिक बनाना चाहते हैं जो वर्गीकृत क्षमता है। एसएआर तस्वीरें सैटेलाइट तस्वीरों की तरह साफ नहीं हैं। हमें मंगलवार को अच्छी तस्वीरें नहीं मिली क्योंकि आसमान में घने बादल लगे हुए थे। इससे बहस सुलझ जाती। मदरसे का चुनाव बहुत सावधानी से किया गया था क्योंकि यह वीराने में स्थित था और वहां नागरिकों की मौत होने का अंदेशा बहुत कम था। वायुसेना को दी गई खुफिया जानकारी सटीक और समयानुकूल थीं। वायुसेना ने लक्ष्यों तक पहुंचने के लिए एस-2000 पीजीएम का इस्तेमाल किया था। सैन्य अधिकारी ने कहा कि एस-2000 एक जैमर प्रूफ बम है जो घने बादल होने के कारण भी अपना काम सटीकता से ककाम करता है। यह पहले छत के अंजर प्रवेश करता है, फिर इमारत के अंदर जाता है और फिर फट जाता है। छत के प्रकार के हिसाब से सॉफ्टवेयर को प्रोग्राम किया जाता है। जिसमें उसकी मोटाई, निर्माण सामाग्री आदि को देखा जाता है। इसके कारण पीजीएम में देरी होती है।

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