नई दिल्ली,कांग्रेस लोकसभा चुनाव में पूर्वोत्तर में अपनी खोई जमीन वापस को हासिल करने की कवायद में जुट गई है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पूर्वात्तर की कुल 25 लोकसभा सीटों में से 20 सीटें जीतने का लक्ष्य तय किया है। इसके लिए कांग्रेस ने चार अलग-अलग मुद्दों के सहारे पूर्वोत्तर में अपना लक्ष्य हासिल करने की रणनीति बनाई है। राहुल गांधी ने मंगलवार को असम में रैली के बाद पूर्वोत्तर के राज्यों के नेताओं के साथ बैठक कर कांग्रेस की वापसी की रणनीति बनाई है। राहुल ने सभी पूर्वोत्तर राज्यों के कांग्रेस जिला और खंड इकाई प्रमुखों को संबोधित करते हुए कहा कि पार्टी क्षेत्र में चुनाव लड़ते हुए तीन प्रमुख मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करेगी, जिसमें रोजगार संकट, किसानों की समस्या और भ्रष्टाचार मुख्य रूप से शामिल है।कांग्रेस अध्यक्ष ने दावा किया कांग्रेस यह लोकसभा चुनाव जीतने जा रही है। यह एक ऐसी सच्चाई है, जिसे किसी सूरत में टाला नहीं जा सकता। इसे कोई रोक नहीं सकता। उन्होंने कहा कि मैं पूर्वोत्तर में कांग्रेस पार्टी से 20 से अधिक सीटों की उम्मीद कर रहा हूं। उससे कुछ भी कम नहीं। राहुल गांधी ने कहा मेरा मानना है कि आपको 22 सीटें जीतने का प्रयास करना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को महज आठ सीटें-असम में तीन, मणिपुर में दो और अरुणाचल प्रदेश, मेघालय और मिजोरम में एक-एक सीट मिली थी। जबिक भाजपा को असम में सात लोकसभा सीट और अरुणाचल प्रदेश में एक सीट जीती थी। राहुल गांधी ने कहा लोकसभा चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस सदस्यों को पार्टी को सभी राज्यों में सत्ता में वापस लाने पर काम करना चाहिए, जहां से उसे गलत तरीके से बाहर कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस भारत और पूर्वोत्तर में तीन-चार मुद्दों पर चुनाव लड़ेगी। इसमें एक नागरिकता विधेयक है। कांग्रेस का रुख स्पष्ट है कि हम इस विधेयक का विरोध करते हैं। कांग्रेस पार्टी पूर्वोत्तर के साथ खड़ी हुई और विधेयक को राज्यसभा में आने से रोक दिया। कांग्रेस अध्यक्ष ने राष्ट्रीय नागरिकता पंजी (एनआरसी) के अपडेट को सही तरीके से लागू नहीं करने के लिए सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा कि यहां रोजगार का संकट ज्यादा बड़ा मुद्दा है। उन्होंने कहा इसकी ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ध्यान नहीं है। उनकी दिलचस्पी समस्याएं सुलझाने की बजाय, समस्याएं उलझाने में ज्यादा होती है।
लोगों की समस्याएं सुलझाने में उनकी रुचि नहीं है। हम पूर्वोत्तर को शिक्षा का केंद्र बनाना चाहते हैं। दरअसल पूर्वोत्तर एक दौर में कांग्रेस का मजबूत गढ़ था, लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा इस इलाके में अपना आधार बढ़ाने में कामयाब रही है। हालांकि मौजूदा समय में नागरिकता संशोधन विधेयक और पीआरसी के चलते भाजपा के समीकरण बिगड़ते नजर आ रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस को अपनी वापसी की उम्मीद नजर आ रही है।