नई दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अटल बिहारी वाजपेयी को आदर्शों से कभी समझौता नहीं करने वाला दिग्गज राजनेता बताया। उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत जीवन के हित के लिए कभी अपना रास्ता न बदलना और लोकतंत्र में स्पर्धी होने के बावजूद एक दूसरे के प्रति आदर भाव रखना यह पूर्व प्रधानमंत्री से सीखने वाली बात है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संसद भवन के केन्द्रीय कक्ष में पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी के आदमकद तैलचित्र का अनावरण किया। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा, अटल जी के जीवन पर बहुत सी बातें कही जा सकती हैं। घंटों तक चर्चा की जा सकती है फिर भी पूरा नहीं हो सकता। ऐसे व्यक्तित्व बहुत कम होते हैं।
उन्होंने कहा, व्यक्तिगत जीवन के हित के लिए कभी अपना रास्ता न बदलना, ये अपने आप में सार्वजनिक जीवन में हम जैसे कई कार्यकर्ताओं के लिए बहुत कुछ सीखने जैसा है। पीएम ने कहा कि लोकतंत्र में कोई दुश्मन नहीं होता है। लोकतंत्र में स्पर्धी होते हैं और स्पर्धी होने के बावजूद एक दूसरे के प्रति आदर भाव रखना, सम्मान के साथ देखना यह अटलजी के व्यक्तित्व से सीखना होगा। उन्होंने कहा कि अटलजी ने कितने ही साल संसद के गलियारे में समय गुजारा, दशकों तक सत्ता से दूर रहे, फिर भी लोगों की निष्ठा भाव से सेवा की, उनकी आवाज उठायी लेकिन व्यक्तिगत हित के लिये कभी रास्ता नहीं बदला। मोदी ने कहा कि वाजपेयी ने राजनीति में उतार चढ़ाव देखा, जय पराजय आई लेकिन आदर्शों से कभी समझौता नहीं किया। इसका कभी न कभी परिणाम मिलता है। मोदी ने कहा कि वाजपेयी के भाषण की चर्चा होती है लेकिन उनका मौन आज के समय में मनोविज्ञान की दृष्टि से शोध करने की बात है। जितनी ताकत उनके भाषण में थी, उतना ही अधिक प्रभाव उनके मौन में था। जब सभा में बोलते हुए, वे कुछ पल के लिये मौन हो जाते थे, तब भी लोगों में संदेश चला जाता था। इस युग में भी कब बोलना है, कब मौन रहना है यह सीखने जैसा है। उन्होंने कहा कि अटलजी ने एक प्रकार से परिस्थिति को साध लिया था। वे एक ऐसे व्यक्तित्व थे जो लोकतंत्र को ताकत देने के लिए समर्पित थे।