लंदन,मां बनने के बाद कुछ महिलाओं में चिड़चिड़ापन आ जाता है। छोटी-छोटी बात पर महिलाएं चिढने लगती है। इस बीमारी को मेडिकल फील्ड में इसे पोस्टनेटल डिप्रेशन कहा जाता है। यह डिप्रेशन सेहत को काफी नुकसान पहुंचा सकता है। बच्चे के जन्म के बाद मां के शरीर में कई बदलाव आते हैं। जैसे- शरीर में हार्मोन्स के लेवल में चेंज, तनाव महसूस करना, नींद पूरी न होना आदि। इसके अलावा डर, अत्याधिक भावुक होना, चिड़चिड़ापन और मनोदशा में बदलाव भी बच्चे के जन्म के बाद सामान्य बात है। लेकिन कुछ मांओं में यह समस्या बच्चा होने के कई महीने बाद तक जारी रहती है। इस स्थिति को पोस्टपार्टम या पोस्टनेटल डिप्रेशन कहा जाता है। ये वो डिप्रेशन है, जिसका इलाज न किया जाए, तो कई हफ्तों या महीनों तक दर्द और तकलीफ हो सकती है। डॉक्टर्स के मुताबिक, बच्चे के जन्म के बाद सिर्फ पोस्टपार्टम डिप्रेशन ही नहीं होता बल्कि इसके साथ ही पोस्टपार्टम फ्लू और साइकोसिस भी असर डालते हैं।
पोस्टपार्टम फ्लू थोड़े समय ही रहता है, जबकि सबसे कम मामले साइकोसिस के होते हैं। ऐसे पैरंट्स को पोस्टपार्टम डिप्रेशन का खतरा ज्यादा होता है, जिनके परिवार में आनुवंशिक रूप से यह समस्या होती है यानी आपके माता पिता को यह परेशानी रही है, तो आपको भी हो सकती है। थकान महसूस होना, खालीपन, दुखी होना या आंसू आना, आत्मविश्वास खोना, अपराधबोध की भावना, शर्म महसूस करना, खुद को नाकाम मानना, उलझन में होना या घबराहट, अपने बच्चे के लिए खतरा महसूस करना, अकेलेपन या बाहर निकलने का डर, सामाजिक कार्यों में दिलचस्पी खो देना, बहुत सोना या बिल्कुल ना सोना, बहुत खाना या बिल्कुल ना खाना, ऊर्जा की कमी महसूस करना, अपनी देखभाल सही से न करना, स्वास्थ्य में साफ सफाई का ध्यान ना रखना, स्पष्ट सोच ना पाना, निर्णय लेने में मुश्किल, जिम्मेदारियों से दूर भागना। डिलीवरी के बाद हार्मोनल चेंजेस में गड़बड़ी होने पर ऐस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरॉन और कोर्टि सोलहार्मोन में गिरावट होती है। गर्भावस्था से पहले किसी तरह की मानसिक बीमारी से पीड़ित होने पर भी यह परेशानी हो सकती है।