प्रयागराज,प्रयागराज में होने वाली विश्व हिंदू परिषद (विहिप) की धर्म संसद में करीब पांच हजार संत हिस्सा लेंगे। विहिप का लक्ष्य है कि देश के हर जिले का प्रतिनिधित्व धर्म संसद में हो। दो दिवसीय धर्म संसद 31 जनवरी से शुरू होगी और 1 फरवरी को राम मंदिर से संबंधित प्रस्ताव इसमें पेश किया जाएगा। संतों के इस समागम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत भी शामिल होंगे।
विहिप के उपाध्यक्ष और केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल के संयोजक जीवेश्वर मिश्र ने बताया राम मंदिर को लेकर विहिप की अब तक की सबसे बड़ी धर्म संसद कुंभ मेले में होने जा रही है। ऐसा प्रयास किया जा रहा है कि धर्म संसद में देश के हर जिले की नुमाइंदगी हो। यही नहीं, विदेश में रह रहे संतों को भी आमंत्रित किया गया है। वनवासी क्षेत्रों से लेकर कश्मीर, उत्तराखंड और केरल-तमिलनाडु के संतों को भी इसमें आमंत्रित किया गया है। विहिप की कोशिश राम मंदिर पर पूरे देश के संतों को एक मंच पर लाना है, ताकि उनसे ऐसा मार्गदर्शन मिले जो आगामी आंदोलन का रास्ता तय कर सके।
सूत्रों के अनुसार संघ सर संघचालक भागवत धर्मसंसद के दोनों दिन मौजूद रहेंगे। धर्मसंसद के मुद्दे पहले से तय हैं, लेकिन संतों को नए मुद्दे भी रखने की आजादी होगी। हालांकि सबसे अहम मुद्दा राम मंदिर ही रहेगा। इसके साथ ही सबरीमाला और हिन्दुओं की आस्था पर हो रहे हमले पर भी प्रस्ताव लाए जाएंगे। विहिप के उपाध्यक्ष जीवेश्वर मिश्र ने केन्द्र सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर के लिए अधिग्रहीत भूमि राम जन्मभूमि न्यास को लौटाने के लिए आवेदन देने को राम मंदिर निर्माण के लिए पहला कदम बताया है। उन्होंने कहा इससे आंदोलन को गति मिलेगी, लेकिन हमें तो 67 एकड़ भूमि चाहिए। इसमें वह 2.7 एकड़ भूमि भी शामिल है, जिस पर रामलला विराजमान हैं। विहिप उपाध्यक्ष ने कहा मंदिर तो राम जन्मभूमि पर ही बनेगा। इससे कम कुछ भी स्वीकार्य नहीं है।