प्रयागराज, आस्था के महापर्व कुंभ में इस बार पहली बार किन्नर अखाड़े की भी पेशवाई निकली। इतना ही नहीं जूना अखाड़े के साथ किन्नर अखाड़े ने भी पहली बार कुंभ के शाही स्नान में हिस्सा लिया। किन्नर अखाड़े के साधुओं ने सबसे पहले भगवान शिव के अर्धनारीश्वर स्वरूप और बहुचरा माता को स्नान करवाया फिर खुद स्नान किया।
बहुचरा माता किन्नरों की कुल देवी हैं। इनका प्रसिद्ध मंदिर गुजरात के मेहसाणा जिले में स्थित है। इस मंदिर के साथ ही बहुचरा माता के किन्नरों की कुलदेवी बनने के पीछे यह कहानी है।
मेहसाणा जिले के बेचराजी कस्बे में स्थित बहुचरा माता के मंदिर में दर्शन करने के लिए देश भर से श्रद्धालु आते हैं। विशेषकर नि:संतान दंपत्ति संतान की मनोकामना के साथ यहां आते हैं। बहुचरा माता के आशीर्वाद से ऐसे लोगों को संतान सुख की प्राप्ति होती है। यहां किन्नर समुदाय के लोग अक्सर विशेष पूजा और अनुष्ठान का आयोजन करते रहते हैं। मान्यता है कि बहुत से दुष्ट राक्षसों का भक्षण करने की वजह से देवी बहुचरा कहलायीं।
माता करती हैं इसकी सवारी
बहुचरा माता कुक्कुट यानी मुर्गे की सवारी करती हैं। उनकी सवारा को लेकर एक प्रचलित दंतकथा है। कहा जाता है कि एक बार अल्लाउद्दीन द्वितीय जब पाटण को जीतकर इस मंदिर को तोड़ने के लिए सेना के साथ पहुंचा तब वहां देवी के वाहन मुर्गे विचरण कर रहे थे। उसके सैनिकों ने उन मुर्गों को पकड़कर खा लिया, लेकिन एक मुर्गा बचा रह गया। सुबह जब उसने बांग देना शुरू किया, तो सैनिकों के पेट के अंदर बैठे मुर्गे भी बांग देने लगे और पेट फाड़कर बाहर आने लगे। यह देखकर अल्लाउद्दीन सहित सभी सिपाही बिना मंदिर तोड़े भाग खड़े हुए।
किन्नर इस वजह से करते हैं बहुचरा माता की उपासना
एक पौराणिक कथा प्रचलित है। गुजरात में एक बार एक नि:संतान राजा ने संतान प्राप्ति के लिए बहुचरा माता की आराधना की। मां ने प्रसन्न होकर उन्हें पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद दिया। राजा के घर पुत्र हुआ, लेकिन वह नपुंसक निकला। एक दिन बहुचरा माता उसके सपने में आईं और उसे गुप्तांग समर्पित करके मुक्ति के मार्ग में आगे बढ़ने को कहा। राजकुमार ने ऐसा ही किया और देवी का उपासक बन गया। इस घटना के बाद से ही सभी किन्नरों ने बहुचरा माता को अपनी कुलदेवी मानकर उनकी उपासना शुरू कर दी।
ऐसे पहुंचें मंदिर
यह मंदिर अहमदाबाद से करीब 110 किमी दूर स्थित है। अहमदाबाद से गांधीनगर होते हुए बेचराजी पहुंच सकते हैं। मेहसाणा से यह धाम 38 किमी दूर स्थित है। हवाई मार्ग के द्वारा अहमदाबाद पहुंचकर आप सड़क के रास्ते से यहां आ सकते हैं।