कोलकाता, जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव करीब आ रहे हैं वैसे वैसे ही विपक्षी दल अपनी रणनीतियां बनाने में सक्रिय हो गए हैं। पश्चिम बंगाल के ब्रिगेड परेड ग्राउंड में ममता बनर्जी की मेगा रैली में आज विपक्ष के 20 दलों के नेताओं ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला। इस रैली में न केवल विपक्षी नेताओं ने बल्कि भाजपा के कुछ पूर्व अपनो ने भी हमला बोला। भाजपा के पूर्व नेता यशवंत सिन्हा ने ममता की रैली में पीएम मोदी पर निशाना साधा। वहीं, एनडीए सरकार में मंत्री रह चुके अरुण शौरी ने विपक्षी दलों से मोदी सरकार को हटाने के लिए अर्जुन बनने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि सभी को लक्ष्य एक, एक प्रण करना होगा।
भाजपा छोड़ चुके यशवंत सिन्हा ने कहा कि इस रैली के बाद भाजपा वाले कहेंगे कि यह एक आदमी मोदी पर हमला करने के लिए गठबंधन है। उन्होंने कहा, हम यहां एक सोच और विचारधारा का प्रश्न है। हम उस सोच और उस विचारधारा के विरोध में आज यहां एकत्र हुए हैं। उन्होंने केंद्र पर लोकतांत्रिक संस्थाओं पर हमले का आरोप लगाया। यशवंत सिन्हा ने कहा, देश में हम लोकतंत्र की रक्षा के लिए यहां खड़े हैं। मोदी मुद्दा नहीं हैं, मुद्दे मुद्दा है। देश की आर्थिक व्यवस्था चौपट हो चुकी है। यह सरकार आंकड़ों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रही है।
यशवंत सिन्हा ने आरोप लगाया कि इस सरकार में समाज को तोड़ने और देश को छिन्न-भिन्न करने की योजना है। उन्होंने कहा, सरकार का विरोध करने पर तुरंत कहा जाता है कि हम देशद्रोही हैं। कश्मीर के मुद्दे का समाधान बंदूक की गोली से नहीं प्यार की बोली से होगा कहने पर मुझे देशद्रोही कहा गया। देश आज बहुत खतरनाक मोड़ पर खड़ा है। मैं तो खुद फकीर हूं, मुझे अपने जीवन में कुछ नहीं चाहिए। एक ही उद्देश्य है कि इस सरकार को और इसकी सोच को बाहर किया जाए। यशवंत सिन्हा ने कहा कि विपक्ष का एक ही मकसद होना चाहिए कि भाजपा के उम्मीदवार के सामने हमारा एक ही उम्मीदवार हो। उन्होंने कहा, अगर ऐसा हुआ तो भाजपा का पूरे देश में पूरी तरह से सफाया हो जाएगा। हमारा लक्ष्य होना चाहिए कि एकजुट होकर चुनाव लड़ें और भाजपा को बाहर करें।
एनडीए सरकार में मंत्री रह चुके शौरी ने केंद्र सरकार पर खूब झूठ बोलने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, देश में अब तक ऐसी सरकार नहीं आई जिसने इतना झूठ बोला हो। सीबीआई विवाद सबके सामने है। नोटबंदी का आइडिया किसी ने नहीं दिया। इस सरकार को तो जाना ही चाहिए। विपक्ष एकजुट होकर गुजरात में लड़ती तो वहां भी भाजपा को हराया जा सकता था। उन्होंने कहा, मोदी भी जानते हैं कि उनकी पकड़ खत्म हो रही है। आज जो कर्नाटक में हो रहा है वह कल मध्य प्रदेश में भी होगा। हमारा एक ही लक्ष्य होना चाहिए। अर्जुन की तरह, अर्जुन बनिए। एक लक्ष्य और एक प्रण करना होगा।
लोकतांत्रिक सरकार की अगुवाई कर रहे अलोकतांत्रिक लोग: कुमारस्वामी
कर्नाटक के मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने भारत को दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में से एक बताया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि आज हम केंद्र में कुछ अलोकतांत्रिक लोगों को लोकतांत्रिक सरकार की अगुवाई करते देख रहे हैं। शनिवार को विपक्ष की रैली को संबोधित करते हुए कुमारस्वामी ने कहा कि पिछले 70 सालों में देश ने क्षेत्रीय पार्टी को मजबूती से उभरते देखा है। इन दलों ने ना केवल अपने राज्यों के हितों की रक्षा की है, बल्कि अपने लोगों की भावनाओं को भी समझा है। उन्होंने क्षेत्रीय दलों और क्षेत्रीय नेताओं की तारीफ करते हुए कहा कि एम करुणानिधि ने तमिलनाडु के लोगों के हितों की रक्षा के लिए बहुत कुछ किया है। इसी तरह सपा और बसपा ने उत्तर प्रदेश एवं एन चंद्रबाबू नायडू ने आंध्र प्रदेश के लिए किया है। इसके अलावा कुमार स्वामी ने ममता बनर्जी को देश की महिलाओं के लिए रोल मॉडल बताते हुए कहा कि उन्होंने राज्य की महिलाओं को सशक्त किया है। दूसरी तरफ नोटबंदी आलोचना करते हुए करुणानिधि ने कहा कि इससे देश बुरी तरह प्रभावित हुआ और सबसे ज्यादा प्रभावित ग्रामीण इलाके में रहने वाले लोग हुए।
फारूक अब्दुल्ला ने ईवीएम को बताया चोर मशीन
पारदर्शिता के लिए मतपत्र प्रणाली फिर से शुरू करने की हिमायत करते हुए नेशनल कांफ्रेंस प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ने ईवीएम को ‘चोर’ मशीन करार दिया। तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी की ओर से कोलकाता में आयोजित संयुक्त विपक्ष की रैली को संबोधित करते हुए जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने परोक्ष रूप से पीएम मोदी की ओर इशारा करते हुए कहा कि यह किसी एक व्यक्ति को सत्ता से बाहर करने की बात नहीं है। यह देश को बचाने और आजादी के लिए लड़ने वालों के बलिदान का सम्मान करने की बात है। उन्होंने कहा ईवीएम, चोर मशीन है। ईमानदारी से कह रहा हूं। इसके इस्तेमाल पर रोक लगनी चाहिए। दुनिया में कहीं भी मशीन का इस्तेमाल नहीं होता है। ईवीएम का इस्तेमाल रोकने और पारदर्शिता लाने के लिए मतपत्र प्रणाली को वापस लाया जाना चाहिए। इस मुद्दे पर विपक्षी दलों को निर्वाचन आयोग और भारत के राष्ट्रपति से मिलना चाहिए।