लखनऊ, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सपा-बसपा के गठबंधन का राज्य की राजनीति पर कोई असर नहीं होने का दावा करते हुए रविवार को कहा कि सपा-बसपा के गठबंधन का मतलब, भ्रष्टाचारी, जातिवादी मानसिकता की, एक अराजक और गुंडांे को सीधे-सीधे सत्ता देकर जनता को उसके भाग्य पर छोड़ देने जैसा है। मैं कह सकता हूं कि इस गठबंधन का प्रदेश की राजनीति पर कोई असर नहीं होने वाला है। अच्छा हुआ दोनांे एक हो गये हैं। हमें मदद मिलेगी कायदे से इनको ‘निपटाने’ के लिये।
मुख्यमंत्री योगी ने यहां खबरिया चैनल के एक कार्यक्रम में कहा कि गठबंधन कोई चुनौती नहीं है। मैं सपा मुखिया अखिलेश यादव से पूछना चाहता हूं कि प्रधानमंत्री के रूप में पिछली बार वह (सपा संस्थापक) मुलायम सिंह यादव को आगे कर रहे थे। वह स्पष्ट करें कि इस बार प्रधानमंत्री पद के लिये उनकी नजर में मुलायम हैं या मायावती। चुनाव के पहले नेता भी स्पष्ट होने चाहिये। उन्होंने कहा कि नेतृत्वविहीन गठबंधन को जनता खारिज करेगी। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि सपा और बसपा अलग-अलग पार्टी क्यों हैं, दोनों का विलय कर दीजिये। मुख्यमंत्री ने कहा कि सपा और बसपा ने वर्ष 1993 से लेकर 1995 तक उत्तर प्रदेश में मिलकर सरकार चलायी। दूसरा, सपा और बसपा को प्रदेश में पूर्ण बहुमत की सरकार चलाने का अवसर भी मिला। उनकी कार्यपद्धति को सबने देखा। इन्होंने समाज में जातिवाद का जहर घोला, भ्रष्टाचार और दंगों की आग में प्रदेश को झोंका।
वहीं मुख्यमंत्री ने अयोध्या विवाद के बारे में पूछे जाने पर कहा कि भाजपा ने पहले ही कहा था कि वह संवैधानिक दायरे में रहकर इस समस्या का समाधान करेगी। हम फिर कह रहे हंै कि मामला उच्चतम न्यायालय में है। हम उससे बार-बार अपील कर रहे हैं कि इस मामले को देश के सौहार्द के विकास के लिये अविलम्ब इसका निपटारा होना चाहिये। इसका समाधान भी कोई करेगा तो भाजपा ही करेगी। जिन लोगों ने समस्या पैदा की है वह इसका समाधान नहीं कर सकते।
सपा-बसपा को अब कायदे से ‘निपटाने’ में मिलेगी मदद-योगी
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