भोपाल, मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार के मंत्रियों को विभाग मिलते ही हलचल तेज हो गई। विधि मंत्री पीसी शर्मा ने पद संभालते कहा कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस कार्यकर्ता और कर्मचारियों पर चल रहे मुकदमे वापस लिये जाएंगे। पत्रकारों से चर्चा के दौरान शर्मा ने कहा कि भाजपा शासन के दौरान कांग्रेस के नेताओं पर लगे सभी राजनैतिक केस वापस लिए जाएंगे। प्रदेश में पत्रकार प्रोटेक्शन एक्ट को भी लागू किया जाएगा। महिला अपराधों पर लगाम लगाना प्राथमिकता होगी। पीसी शर्मा ने आगे कहा कि महिलाओं और बच्चियों के मामलों में फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट के माध्यम से काम किया जाएगा। प्रदेश में जल्लादों की भर्ती पर जो जरूरी कदम होंगे उठाए जाएंगे। गौरतलब है कि कांग्रेस नेताओं को लंबे समय से शिकायत है कि राजनीतिक धरने प्रदर्शन के दौरान मप्र में पुलिस ने उन पर मुकदमे दर्ज किये और कई बार ऐसी धाराओं का उपयोग भी किया गया जिससे जमानत मिलना भी आसान नहीं होता।
वित्त मंत्री बोले- शिवराज की योजनाएं बंद करेंगे
वित्त मंत्री तरुण भनोट ने कहा कि भाजपा के शासनकाल में शुरू की गई कई योजनाएं बंद की जाएंगी। उन्होंने कहा कि अधिकारियों से उन योजनाओं को चिन्हित करने गया है, जिनका लाभ लोगों को नहीं मिल रहा है। भाजपा सरकार के समय राजनीतिक रूप से अपने कार्यकर्ताओं को लाभ देने के लिए इस तरह की योजनाएं शुरू की गई थी। एक महीने के भीतर इन योजनाओं को बंद कर दिया जाएगा।
-कांग्रेस में पड़ी फूट का मिल सकता है लाभ भाजपा से बन सकता है विधानसभा अध्यक्ष
15 वर्ष बाद सत्ता से बेदखल हुई भाजपा अब विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष पद की बजाये लंबी छलांग लगाने के मूड में है। भाजपा अब विधानसभा अध्यक्ष के लिए अपना उम्मीदवार खड़ा करने के मूड में हैं। संघ भी यही चाहता है। आमतौर पर सत्ताधारी पार्टी या गठबंधन का कोई विधायक ही स्पीकर होता है। सबसे वरिष्ठ सदस्य को स्पीकर चुना जाता है और ध्वनिमत से विधायक अपनी स्वीकृति देते हैं। भाजपा के पास 109 विधायक हैं, वहीं कांग्रेस के पास 114 विधायकों की संख्या है, जबकि उसे बाहर से अन्य पार्टियों के विधायकों का समर्थन प्राप्त है। हालांकि, पार्टी की ओर से इस बारे में कोई आधिकारिक ऐलान अभी नहीं किया गया है। 7 जनवरी से विधानसभा का का पहला सत्र शुरू हो रहा है। कांग्रेस की गुटबाजी और अंदरुनी खींचतान का फायदा उठाकर भाजपा अध्यक्ष पद के लिए अपना उम्मीदवार खड़ा करने की तैयारी में है, क्योंकि विधायकों की संख्या में बहुत ज्यादा अंतर नहीं है।