नई दिल्ली, शुक्रवार को राफेल डील पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब सरकार ने कोर्ट से अपील की है कि आदेश में सुधार की जरूरत है। सरकार की तरफ से कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश में पैराग्राफ 25 में कहा गया है कि पीएसी ने रिपोर्ट देख ली है जबकि होना चाहिए था पीएसी रिपोर्ट देखेगी। इसके बाद मोदी सरकार ने पैराग्राफ 25 में सुधार की अपील की है। केन्द्र सरकार ने कहा है कि हमने कोर्ट में बताया था कि सीएजी को प्राइसिंग के डिटेल दिए गए हैं और बताया है कि कैसे सीएजी , पीएसी को वह रिपोर्ट भेजता है और फिर पीएसी से वह पार्लियामेंट तक जाता है। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने उस समझा कि सीएजी को प्राइसिंग के रिपोर्ट दिए गए हैं और सीएजी ने वो रिपोर्ट पीएसी भेज दी है और पीएसी ने उस पार्लियामेंट के टेबल पर रख दिया है, हम इसमें सुधार चाहते हैं।
बता दें कि शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से ही कांग्रेस सहित सभी विपक्षी राजनीतिक दल सरकार पर झूठ बोलने का आरोप लगा रही थी। सीएजी की रिपोर्ट पीएसी को नहीं मिलने की बात कही जा रही है। कांग्रेस ने दावा किया कि सीएजी की रिपोर्ट पीएसी को कभी नहीं मिली। बात दे कि पीएसी (पब्लिक अकाउंट कमिटी या लोक लेखा समिति) के चेयरमैन मल्लिकार्जुन खड़गे ने शनिवार को आरोप लगाया कि सरकार ने सीएजी की रिपोर्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट में झूठ बोला है और वह सीएजी और एजी को तलब करने जा रहे हैं।
बात दे कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा, सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पीएसी (लोक लेखा समिति) को कैग रिपोर्ट दी गई है, जबकि पीएसी को कोई रिपोर्ट नहीं मिली’’ कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘‘ये कैसे हो सकता है कि जो कैग रिपोर्ट फैसले की बुनियाद है वो पीएसी में किसी को नहीं दिखी लेकिन सुप्रीम कोर्ट में दिखी?’’ उन्होंने कहा, ‘‘जब कोई झूठ बोलता है तो वह कहीं न कहीं नजर आ जाता है अब सरकार हमें बताए कि सीएजी रिपोर्ट कहां हैं? हमें यह दिखाएं’’ पीएसी के चेयरमैन कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे हैं।
क्या था सुप्रीम कोर्ट का फैसला:
सुप्रीम कोर्ट ने फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के मामले में नरेन्द्र मोदी सरकार को शुक्रवार को क्लीन चिट दे दी साथ ही शीर्ष अदालत ने सौदे में कथित अनियमितताओं के लिए सीबीआई को प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने का अनुरोध करने वाली सभी याचिकाओं को खारिज किया सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अरबों डॉलर कीमत के राफेल सौदे में निर्णय लेने की प्रक्रिया पर संदेह करने का कोई कारण नहीं है