‘बालोन डी ओर’ खिताब जितने वाले मोड्रिक कभी रहे थे शरणार्थी

कोलकाता,रियल मैड्रिड फुटबॉल क्लब के मिडफील्डर और क्रोएशिया कप्तान लुका मोड्रिक ने ‘बालोन डी ओर’ खिताब जीता है। मोड्रिक का यह पहला बालोन डी ओर खिताब है। एक दशक के बाद लियोनन मेसी और क्रिस्टियानों रोनाल्डो की जगह किसी अन्य खिलाड़ी को यह खिताब मिला है। इससे पहले साल 2007 में ब्राजील के काका को यह अवॉर्ड मिला था। मोड्रिक ने इस साल शानदार खेल दिखाते हुए मई में तीसरी बार चैम्पियंस लीग का खिताब जीता और इसके बाद उन्होंने अपनी टीम को इस साल रूस में हुए फीफा विश्व कप के फाइनल में पहुंचने में भी अहम भूमिका अदा की थी। मोड्रिक ने कहा, ‘हो सकता है कि पिछले कुछ वर्षों में कुछ खिलाड़ियों ने बालोन डी ओर खिताब जीते होंगे, लेकिन अब लोगों ने आखिरकार किसी अन्य खिलाड़ी पर नजर डालना शुरू कर दिया है।’ मोड्रिक ने कहा कि यह पुरस्कार उन सभी खिलाड़ियों के लिए एक संकेत है, जो कहीं न कहीं इसे पाने के अधिकारी हैं, लेकिन उन्हें यह नहीं मिला। मोड्रिक ने कहा कि उनके लिए यह साल काफी खास रहा है।
कभी शरणार्थी था यह स्टार खिलाड़ी
फुटबॉल क्लब रीयाल मैड्रिड के मिडफील्डर और बेलोन डिओर खिताब विजेता ल्यूका मोडरिच कभी शरणार्थी थे। मोडरिच का बचपन युद्धग्रस्त देश में शरणार्थी की तरह बीता था। मोडरिच ने छह साल की उम्र से ही शरणार्थी की जिंदगी जीते हुए फुटबॉल सीखी क्योंकि 1991 से 1995 तक कोएशिया और सर्बियाई विद्रोहियों के बीच युद्ध चल था ।
क्रोएशिया में पहले से ही एक नायक के तौर पर पहचाने जाने वाले मोडरिच इस साल सितंबर में फीफा के साल के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी का खिताब जीत चुके है। मोडरिच को बेलोन डिओर का यह खिताब अपने देश को फुटबॉल विश्व कप के फाइनल में पहुंचाने और अपने क्लब रीयाल मैड्रिड को लगातार तीसरी बार चैम्पियन्स लीग का खिताब दिलवाने में अहम भूमिका निभाने के लिए दिया गया। मोडरिच ने क्रिस्टियानो रोनाल्डो और लियोनेल मेस्सी जैसे सितारो को पछाड़कर बेलोन डिओर हासिल किया।
दुनिया के सर्वश्रेष्ठ फुटबॉल बने इस खिलाड़ी का बचपन मुश्किलों से भरा रहा है। युद्धग्रस्त देश में बचपन में शरणार्थी की जिंदगी जीने वाले इस फुटबॉल के दादा को सर्बिया की सेना ने मार दिया था। इसके बाद उनका परिवार अपना घर छोड़कर तटवर्ती शहर जादर में शरणार्थी की तरह रहने लगा था। इसी जगह पर मोडरिच ने फुटबाल में अपनी क्षमता से सबको प्रभावित करना शुरू किया। एनके जादर क्लब के कोच जोसिप बाज्लो ने कहा, ‘‘ मैंने एक प्रतिभावान छोटे बच्चे के बारे में सुना था जो शरणार्थी होटल के आस-पास फुटबॉल खेलता था और सोते समय भी फुटबॉल अपने साथ रखता था।’’ बाज्लो ने मोडरिच के खेल को देखकर उसे क्लब के फुटबॉल स्कूल के साथ शामिल किया, जहां थोड़े समय में ही उन्होंने अपनी अलग पहचान बना ली।

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