अंतिम समय भी नहीं मिला अपनों का सहारा

छिंदवाड़ा, जिला अस्पताल के मेल सर्जिकल वार्ड में पिछले दस दिनों से बीमारी का इलाज करा रहे बुजुर्ग को इन दस दिनों में अपने परिजनों के आने का इंतजार था लेकिन परिजन उसकी सुध लेने नहीं पहुंचे। आखिरकार बुजुर्ग ने जिला अस्पताल के मेल सर्जिकल वार्ड में उपचार के दौरान दम तोड़ दिया। अंतिम समय में भी बुजुर्ग को अपनों के आने का इंतजार था, लेकिन अंतिम विदाई पर भी उसे अपनों का कांधा नसीब नहीं हो सका। पुलिस ने तीन दिनों तक बुजुर्ग के परिजनों के आने का इंतजार किया जब उसके परिजन नहीं आए तो पुलिस ने नगर निगम के माध्यम से रविवार दोपहर उसका मोक्षधाम में अंतिम संस्कार करा दिया। दरअसल जिला अस्पताल के गायनिक वार्ड के समीप करीब एक माह से एक बुजुर्ग लावारिश हालत में पड़ा हुआ था जिसे ऊंटखाना निवासी इरशाद नामक युवक ने उसे लावारिश पड़े देख 30 नवम्बर को अस्पताल के मेल सर्जिकल वार्ड में भर्ती कराया था। बुजुर्ग कौन था और कहां से आया था उसकी शिनाख्त नहीं हो सकी थी। ऐसे में पुलिस के सामने दो दिनों से दूविधा का आलम बरकरार था, अस्पताल के वार्ड में जब अज्ञात बुजुर्ग ने 7 दिसम्बर को दम तोड़ा तो चौकी प्रभारी दिनेश रघुवंशी ने बुजुर्ग के परिजनों को तलाश करने का काफी प्रयास किया और सभी थानों में वायरलैस के माध्यम से अज्ञात बुजुर्ग के संबंध में सूचना दी लेकिन तीन दिन बीत जाने के बाद भी जब बुजुर्ग का कोई सुराग नहीं लगा तो अस्पताल चौकी पुलिस ने रविवार को नगरनिगम को उसके अंतिम संस्कार के दिन सूचना दी। बुजुर्ग के मृत शव को कांधा देने वाला उसका अपना कोई नहीं था। ऐसे में नगर निगम और पुलिस कर्मी ने अज्ञात बुजुर्ग का धार्मिक रीजि-रिवाज से रविवार को अंतिम संस्कार कराया।
बूढ़ापे में सेवा करें, नहीं चाहिए तर्पण
नगर कोतवाली क्षेत्र के रायल चौक निवासी सोमवारी बाई (70) कहती हैं कि बूढ़ापे में मां-बाप की सेवा और सम्मान चाहिए। घर में तिरस्कार सहन नहीं है। घर में अपमान, पीड़ा, बेबसी की जिंदगी गुजारनी पड़े और मरने के बाद बेटे कर्मकांड कराएं, यह कहां तक ठीक है। ऐसी मान्यताओ में विश्वास नहीं किया जा सकता है।

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