वॉशिंगटन,अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप प्रशासन ने एच-1बी आवेदन प्रक्रिया में कुछ बड़े बदलावों का प्रस्ताव दिया है। प्रस्तावित नए नियमों के मुताबिक कंपनियों को एडवांस में अपने पिटिशंस का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना होगा। इसका उद्देश्य अमेरिका के इस लोकप्रिय वर्क वीजा को सिर्फ सबसे ज्यादा कुशल और सबसे ज्यादा वेतन वाले विदेशी कर्मचारियों को देना है। बता दें कि भारतीय आईटी कंपनियों और प्राफेशनल्स के बीच एच-1बी वीजा काफी लोकप्रिय है। जाहिर है, एच-1बी वीजा प्रक्रिया में प्रस्तावित बदलावों से सबसे ज्यादा प्रभावित भारतीय पेशेवर ही रहने वाले है।
अमेरिकी संसद ने एक साल में एच-1बी वीजा की अधिकतम सीमा को तय कर रखा है। उसके मुताबिक एक वित्त वर्ष में अधिकतम 65,000 एच-1बी वीजा जारी हो सकते हैं। हालांकि, अमेरिका से ही मास्टर डिग्री लेने वाले या उच्च शिक्षा हासिल करने वाले विदेशियों के लिए अलग से सालाना 20,000 बी-1B वीजा जारी किए जाते हैं, जो 65 हजार की उच्च सीमा के अतिरिक्त है। नए नियमों के मुताबिक के पास यह अधिकार सुरक्षित होगा कि वह अमेरिका में उच्च शिक्षा प्राप्त आवेदक को 65,000 वीजा लिमिट से छूट दे या नहीं। नए प्रस्तावित नियमों के बारे में शुक्रवार को नोटिस जारी किया गया। इसके मुताबिक एच-1बी वीजा पर विदेशी वर्करों की नियुक्ति करने वाली कंपनियों को अब अडवांस में खुद को यूएस सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज पर इलेक्ट्रॉनिकली रजिस्टर करना पड़ेगा। उन्हें एडवांस में बताना पड़ेगा कि अमुक अवधि में वह कितने वीजा के लिए आवेदन करेगी।
एच-1बी वीजा एक नॉन-इमिग्रैंट वीजा है जो अमेरिका में कार्यरत कंपनियों को विदेशी वर्करों को नौकरी देने की इजाजत देता है। अमेरिका में टेक कंपनियां हर साल इसी वीजा के जरिए भारत और चीन जैसे देशों के हजारों कर्मचारियों को हायर करती हैं। एच1बी वीजा प्रोग्राम 1990 में शुरू किया गया था। इसके तहत अमेरिकी कंपनियां इंजिनियरिंग और आईटी जैसे कुछ खास प्रफेशन में स्टाफ की कमी को पूरा करती हैं। भारतीय पेशेवरों के बीच एच-1बी वीजा कितना लोकप्रिय है, इसका अंदाजा इसी से लगता है कि यह वीजा रखने वाले हर 4 में से 3 व्यक्ति भारतीय नागरिक हैं।
भारतीयों पर सीधा असर, एच-1बी आवेदन प्रक्रिया में हुआ बड़ा बदलाव
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