जबलपुर,प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित अन्य से कथित तौर पर जान के खतरे की आशंका जताते हुए सुरक्षा और पुख्ता किये जाने की मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी जिसे आधारहीन पाते हुए हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया।
याचिका में कहा गया था कि मोदी के कथित तौर पर जनता के बीच में बढ़ते प्रभाव के कारण वह अपने विरोधियों के निशाने पर है। याचिका में कहा गया है कि कई देशों की सुरक्षा एजेन्सियों व विरोधी, मोदी के खिलाफ साजिश रच रहे है। इतना ही नहीं मामले में आरोप है कि खुद उनकी पार्टी के लोग उन्हें रास्ते से हटाना चाहते है। उनकी सुरक्षा व्यवस्था और कड़ी किये जाने की मांग याचिका में की गयी है। चीफ जस्टिस एस. के. सेठ व जस्टिस बी.पी. एस. चौहान ने याचिका को आधारहीन पाते हुए उसे खारिज कर दी। यह मामला बालाघाट लांजी के पूर्व विधायक किशोर समरीते की ओर से दायर किया गया था। जिसमें कहा गया था कि राफेल डील के कारण कई लोग मोदी के दुश्मन बन गये है। वे अमेरिका की सीआईए व पाकिस्तान की आईएसआई सहित अन्य विरोधियों के निशाने पर है।
शिवराज बनना चाहते हैं प्रधानमंत्री !
मामले में संगीन आरोप यह भी है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खुद प्रधानमंत्री बनने के लिए मोदी को रास्ते से हटाना चाहते हंै। इसके लिए मुख्यमंत्री चौहान, डेढ़ दर्जन आईएएस अधिकारी की मदद ले रहे है। प्रदेश के मुख्यमंत्री का नाम व्यापमं, मेडिकल व पोषण आहार वितरण घोटाले में आया है। इसके अलावा उनके कार्यकाल में प्रदेश पर १७५ लाख करोड़ रूपये का कर्ज हुआ है। प्रदेश में बेरोजगारी की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। आरोप है कि मुख्यमंत्री चौहान को इस बात का डर है कि उन्हें पद से हटाया जा सकता है। प्लैन क्रैश सहित अन्य साजिश प्रधानमंत्री के खिलाफ रची जा रही है। याचिका में कहा गया था कि इस संबंध में उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय सहित अन्य संबंधित विभाग को पत्र लिखा था। याचिका में मांग की गयी है उच्च स्तरीय कमेटी व सीबीआई जांच कर साजिशकर्ताओं के खिलाफ कार्यवाही करें।
लग चुका है जुर्माना
याचिका की सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से बताया गया कि पूर्व में भी याचिकाकर्ता इस तरह की काल्पनिक याचिका दायर कर चुके है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ दायर याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय ने उनके खिलाफ पांच लाख रूपये की कॉस्ट लगाई थी। युगलपीठ ने यािचका की सुनवाई के दौरान पाया कि याचिकाकर्ता ने अपनी बात के समर्थन में किसी तरह के दस्तावेज व साक्ष्य याचिका के साथ प्रस्तुत नहीं किये है जिसके कारण युगलपीठ ने याचिका को आधारहीन पाते हुए उसे खारिज कर दिया। याचिका की सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से उप महाधिवक्ता दीपक अवस्थी हाजिर हुए।