भाजपा के लिए प्रतिष्ठा बरकरार रखने की लड़ाई तो कांग्रेस को खोये दिन वापस पाने की फिक्र

( मध्यप्रदेश चुनाव 2018 विशेष ) खंडवा,मध्यप्रदेश के राजनीतिक मानचित्र में निमाड़ की खासी अहमियत है,यह राज्य की आदिवासी राजनीति का खास गढ़ है। यहाँ के सबसे बड़े आदिवासी नेताओं में कुंवर विजय शाह शरीक हैं। इस समय खण्डवा विधानसभा चुनाव में जिले की चारों सीटें जीतने के लिए भाजपा व कांग्रेस को कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। यहाँ की चारों सीटें भाजपा के कब्जे में है,इसलिए पुराने प्रदर्शन को वापस दोहराने उसकी प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। जिले की एकमात्र मांधाता सीट सामान्य वर्ग के लिए है। पंधाना व खंडवा अनुसूचित जाति व हरसूद अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं। कांग्रेस को इन सीटों पर कब्जे के लिए बड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी। हालाँकि पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव यहाँ के सांसद रहे हैं,साल 2015 में वह भाजपा के नंदकुमार सिंह चौहान से चुनाव हार गए थे.कांग्रेस की स्थानीय राजनीति में उनका दखल है और आलाकमान को उम्मीद है की उनकी उपस्थिति से पार्टी बहुत अच्छा प्रदर्शन कर सकेगी.
खंडवा :
विधानसभा चुनाव-2013 में खंडवा विधानसभा से देवेंद्र वर्मा को जनता ने बेहद विश्वास जताते हुए 34 हजार से अधिक वोटों से जीत का सेहरा बांधा था। यह अलग बात है कि वे जनता की अपेक्षा पर पूरी तरह खरे नहीं उतर सके हैं। उनकी सादगी, सरलता और सहजता का तो हर कोई कायल है लेकिन नर्मदा जल योजना के क्रियान्वयन और पाइप लाइन डालने के लिए खोदी गई सड़कों का मुद्दा उन पर आने वाले चुनाव में भारी पड़ सकता है।2008 के चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के दिनेश सोनकर को 25868 वोटों से हराया था। 2003 के चुनाव में भी भाजपा जीती थी तब भाजपा के हुकम यादव ने कांग्रेस के रियाज हुसैन को 24682 वोटों से हराया था।
हरसूद :
2013 के चुनाव में हरसूद विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस ने सूरजभानु सिंह सोलंकी को मैदान में इस मंशा से उतारा था कि वे भाजपा के विजय शाह को चुनौती देंगे लेकिन ऐसा नहीं हो सका। भाजपा के बागी निर्दलीय भैयालाल माइकल के भी मैदान में होने से विजय शाह ने जीत के लिए कड़ी मेहनत की और लगभग 43 हजार वोटों से विजय हासिल की। इस सीट पर आदिवासी गोंड और कोरकू समाज प्रभावी और निर्णायक मतदाता हैं। कांग्रेस का कोरकू प्रत्याशी मुकाबला कड़ा कर सकता है।हरसूद विधानसभा में 25 साल से विजय शाह भाजपा विधायक हैं और मंत्री भी हैं। 1957 में वजूद में आई यह सीट बीजेपी का गढ़ है।1990 से लगातार यहां पर बीजेपी का उम्मीदवार ही जीतते आ रहा है। कांग्रेस को आखिरी बार इस सीट पर जीत 1985 में मिली थी। बीजेपी के कुंवर विजय शाह यहां के विधायक हैं। 2013 के चुनाव में बीजेपी के कुंवर विजय शाह ने कांग्रेस के सुरजभानू सोलंकी को 43 हजार से वोट से हराया था। इस चुनाव में कुंवर विजय शाह को 73880 वोट मिले थे। सुरजभानू सोलंकी को 30309 वोट मिले थे।2008 के चुनाव में भी बीजेपी के ही कुंवर विजय शाह को जीत मिली थी। उन्होंने कांग्रेस की प्रेमलता कसडे को 21 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था। कुंवर विजय शाह को इस चुनाव में 56401 वोट मिले थे तो वहीं प्रेमलता कसडे को 35360 वोट मिले थे।
मांधाता :
राजा मांधाता के नाम वाली यह खंडवा जिले की इकलौती सामान्य सीट है। यहाँ ठाकुर और गुर्जर समाज के मतदाता प्रभावी स्थिति में रहते हैं। इस विधानसभा सीट पर अधिकांश समय राजपूत प्रत्याशी का कब्जा रहा है। 2013 के चुनाव में भाजपा के लोकेन्द्र सिंह तोमर ने कांग्रेस के नारायण पटेल को 4337 वोटों से हराया था। जबकि 2008 के चुनाव में लोकेन्द्र सिंह ने कांग्रेस के राजनारायण सिंह को 20597 मतों से मात दी थी। पिछले चुनाव में उनकी जीत का अंतर काम होने का फायदा कांग्रेस जरूर उठाने की कोशिश करेगी।
पंधाना :
पंधाना विधानसभा सीट खंडवा जिले में आती है। यह सीट अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित है। 2008 से पहले यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हुआ करती थी।यहां पर कुल 2 लाख 65 हजार से ज्यादा मतदाता हैं। इस सीट पर जाति समीकरण अहम है। यहां भील समाज के 45 हजार मतदाता हैं। साथ ही अनुसूचित जाति के 40 हजार मतदाता हैं। इस क्षेत्र में गुर्जर समाज का भी दबदबा है।फिलहाल इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है। बीते तीन चुनावों से इस सीट पर बीजेपी को जीत हासिल हुई है। कांग्रेस को आखिरी बार इस सीट पर जीत 1998 में मिली थी।बीजेपी पिछले तीन चुनावों में जीत मिली है और तीनों ही चुनावों में अलग-अलग उम्मीदवार जीते हैं। यह सीट बीजेपी के दबदबे वाली सीट है।इस सीट पर फिलहाल बीजेपी का कब्जा है। बीजेपी की योगिता नवल सिंह बोरकर यहां की विधायक हैं। 2013 के चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के नंदू बारे को 17 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था। इस चुनाव में योगिता बोरकर को जहां 89732 वोट मिले थे तो वहीं नंदू बारे को 72471 वोट मिले थे।2008 के चुनाव की बात करें तो इस बार भी बीजेपी को जीत मिली थी, बीजेपी के अनार भाई वास्कले ने 3 हजार से ज्यादा वोटों से कांग्रेस के नंदू बारे को हराया था। अनार भाई को इस चुनाव में 53064 वोट मिले थे तो वहीं कांग्रेस के नंदू बारे को 49671 वोट मिले थे।

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