रायपुर, वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने राफेल सौदे में पीएम मोदी ने कई प्रकार के बदलाव कर देश की सुरक्षा से खिलवाड़़ किया है और अनिल अंबानी को कमीशन दिलाकर आर्थिक अपराध किया है, जिसके लिए सुप्रीम कोर्ट में मामला दर्ज कराया गया है। इस मामले में दोष सिद्ध हो जाने पर 7 से 11 वर्ष की सजा का प्रावधान है। घूस खुद ले या अनिल अंबानी को दिलाए दोनों का मतलब एक ही है। रक्षा सौदों में भारत सरकार कमीशन और भ्रष्टाचार रोकने के लिए एक प्रक्रिया निर्धारित कर रखी है। जिसके तहत सेना प्रमुख अपनी आवश्यकता, तकनीकी विशेषता के साथ बताई जाती है, जिसे डिफेंस एक्जीक्यूटिव काउंसिल से मंजूरी दिलाई जाती है। यह प्रक्रिया 2014 के पहले चल रही थी जिसमें 126 विमानों की अावश्यकता बताई गई और तय हुआ कि 18 विमान चालू हालत में भारत लाया जाएगा और 108 विमान मेक इन इंडिया के तहत निर्माण होगा और विदेशी विमान कंपनी भारत को टेक्नाालॉजी ट्रांसफर करेगी। इसके लिए टेंडर बुलाए गए और 6 कंपनियों ने आवेदन दिया। जिसमें फ्रांस की दशौ और दो विदेशी कंपनियों की संक्षिप्त सूची बनाई गई। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण आज रायपुर प्रेस क्लब में पत्रकारों से चर्चा कर रहे थे। उन्होंने कहा प्रक्रिया के अनुसार टेक्निकल ट्रायल और ईवेल्यूवेशन किया गया। चयनित दो कंपनियों की वित्तीय स्थिति की जानकारी ली गई उसमें राफेल निर्माता दशौ एल-1 चयनित हुई। इसके बाद सरकार ने मूल्य के लिए निगोसिएशन किया और मार्च 2015 तक 715 करोड़ रुपए प्रति राफेल जेट के साथ 18 विमानों का सौदा और 108 विमान एचएएल के साथ बनाने का अंतिम रूप दिया गया। इस सौदे को प्रधानमंत्री ने पूरी तरह बदलवा दिया जिसमें रक्षा मंत्री को भी विश्वास में नहीं लिया और नए सौदे में 136 विमान का सौदा 1611 करोड़ रुपए की कीमत पर फ्रांस से भारत पहुंचने का सौदा किया। जिससे भारत में मेक इन इंडिया के तहत विमान बनाने का सपना ध्वस्त हो गया। एचएएल को किनारे कर 30 हजार करोड़ का उपकरण आदि निर्माण का करार दशौ फ्रांस कंपनी और अनिल अंबानी की रिलायंस डिफेन्स के चयन के लिए बाध्य किया गया। जबकि अनिल अंबनी की कंपनी को इसका अनुभव नहीं है जिसमें 126 के स्थान पर 36 राफेल खरीदने का सौदा किया गया है और कीमत 686 करोड़ से बढ़ाकर 1611 करोड़ किया गया। सौदे की पूरी प्रक्रिया आफसेट पार्टनर का चयन और विमान की कीमत तीनों ही संदेह के घेर में है। इस बारे में सुप्रीम कोर्ट ने भी सवाल पूछे हैं। इस संबंध में अभी हाल ही में दो पत्रकारों रोहिणी सिंह और रवि नायर ने एक नया खुलासा किया है जिसके अंतर्गत डेसाल कंपनी की दूसरी कंपनी रिलायंस एयर पोर्ट डेव्हलपमेंट की कंपनी को जिसका शेयर 10 रुपए था उसे 284 रुपए की दर से खरीद कर 284 करोड़ रुपए दिलाया जाना अप्रत्यक्ष रूप से लाभ दिलाया जाना है। यह भी एक प्रेवेन्सल करप्शन है।