मुंबई,नवाब पटौदी खानदान के वारिस और बालीवुड अभिनेता सैफ अली खान बताते हैं, ‘मुझे मेरी बेटी सारा कहती है कि पटौदी के नवाब की पदवी को आप ज्यादा सीरिअस मत लिया करो। नार्थ इंडिया में जो शाही खानदान और रजवाड़े हैं, वहां पर आज भी शाही लोग अपनी पदवी को बड़ी गंभीरता से लेते हैं। खास तौर पर राजस्थान के राजपूत। मैं फिल्म इंडस्ट्री में काम करता हूं। लोग मुझे नवाब बोलते तो हैं, लेकिन मैं कभी भी इस बात को बहुत सीरियस नहीं लेता हूं। मेरे पिता भी इस मामले में जमीन से जुड़े थे और मैं भी वैसा ही हूं।’ सारा जमाना तैमूर की अदाओं का दीवामा है, लेकिन पापा सैफ को बेटे की कौन सी अदा सबसे प्यारी लगती है? सैफ कहते हैं, ‘बेटे तैमूर की सबसे प्यारी अदा मुझे उसका आदाब करना लगता है। वह अपनी हथेली माथे में रखकर जब मुझे तोतली आवाज में अब्बा आदाब कहता है तो मुझे सबसे अच्छा लगता है।’ सैफ लंबे समय के बाद अपनी किसी फिल्म को लेकर सुर्खियों में हैं। पिछले हफ्ते सिर्फ की फिल्म ‘बाजार’ रिलीज़ हुई और फिल्म ने पहले हफ्ते बॉक्स ऑफिस पर ठीक-ठाक कमाई की। यह बहुत कम लोग जानते हैं कि नवाब सैफ अली खान का नाम साजिद अली खान था, लेकिन बाद में यह नाम बदल कर सैफ हो गया। अपने नाम बदलने की कहानी बताते हुए सैफ कहते हैं, ‘हमारे परिवार की एक परंपरा थी कि घर के सबसे पहले बच्चे का नाम दादी मां रखती थी। मेरी दादी ने मेरा नाम साजिद अली खान रखा था, लेकिन यह नाम मेरी मां को बहुत ज्यादा पसंद नहीं था, बाद में किसी ने मेरा नाम बदलकर सैफ कर दिया। मैं बहुत खुश हूं कि मेरा नाम सैफ है। मुझे साजिद से ज्यादा सैफ नाम पसंद है।’सैफ बताते हैं, ‘मेरी मां के भी दो नाम हैं। शादी के बाद मां ने इस्लाम धर्म अपना लिया था, यहां उन्हें नया नाम मिला आयशा सुल्तान, लेकिन उन्होंने पब्लिकली इस नाम का इस्तेमाल नहीं किया। मुझे लगता है धर्म को दिल से माना जाता है, नाम में क्या रखा है, आपका काम ही सबसे ऊपर होता है।’