जबलपुर, भगवान गरीबी दे दे, लेकिन बीमारी न दे। यह कहना है उस महिला का जो पति को अस्पताल में भर्ती करके काम करने चली गई। वापस लौटी तो देखा कि पति ने दम तोड़ दिया है। लावारिस की तरह गलियारे में पति का शव पड़ा देख वह फफक पड़ी और भगवान को कोसने लगी। यह कोई कहानी नहीं बल्कि हकीकत है उस व्यवस्था की जहां लाखों उम्मीदें ऐसे ही दम तोड़ देती हैं।
जानकारी के अनुसार त्रिपुरी चौक निवासी दिलीप गंभीर रूप से बीमार था जिसे उसकी पत्नी नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल अस्पताल लेकर पहुंची जहां दिलीप को भर्ती कर लिया गया। लेकिन वार्ड में बेड खाली नहीं होने के कारण उसे जमीन पर ही लिटा दिया गया। दर्द से कराहते पति को देख पत्नी रोने लगी। डॉक्टरों से इलाज की गुहार लगाई, लेकिन किसी ने उसकी एक न सुनी।
गरीबी में तोड़ा दम.
आर्थिक परिस्थिति कमजोर होने के कारण महिला पति को इलाज के लिए अस्पताल मे छोड़कर दिहाड़ी करने चली गई। दोपहर को उसे सूचना मिली कि उसके पति की मौत हो गई है। वह भागती हुई अस्पताल पहुंची और बिलखकर रोने लगी।
लावारिस की तरह पड़ा था शव
अस्पताल सूत्रों ने बताया कि दिलीप की मौत दोपहर करीब एक बजे हो गई थी। जिसके बाद उसका शव वार्ड के बाहर गलियारे में शिफ्ट कर दिया गया था। परिजन नहीं होने के कारण मानव मोक्ष संस्था के आशीष ठाकुर और उनके साथियों ने शव को पीएम के लिए मर्चुरी भिजवाया और पत्नी को मौत की सूचना दी। पत्नी ने डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाया है।
ये कह रहा अस्पताल प्रबंधन
अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि मरीज गंभीर बीमारी से ग्रस्त था। जिसे समुचित उपचार दिया जा रहा था। मृतक शॉक में चला गया था। जिससे उसकी मौत हो गई।