नई दिल्ली,पेड न्यूज मामले में सुप्रीम कोर्ट से मध्य प्रदेश के जनसंपर्क मंत्री नरोत्तम मिश्रा को बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग की उस अपील को खारिज कर दिया है जिसमें कहा गया था कि हाईकोर्ट से नरोत्तम मिश्र के पक्ष में दिए गए फैसले को बदला जाए। सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा करने से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस मामले की सुनवाई छह हफ्ते बाद होगी।
मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले मंत्री नरोत्तम मिश्रा के लिए यह फैसला एक बड़ी राहत लेकर आया है। चुनाव आयोग ने तुरंत एकपक्षीय दिल्ली हाईकोर्ट के अंतरिम फैसले पर रोक लगाने की मांग की थी। चुनाव आयोग ने कहा था कि पेड न्यूज की गणना को लेकर हाईकोर्ट के फैसले के हिस्से पर भी तत्काल रोक लगे क्योंकि आयोग चार राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मिजोरम में विधानसभा चुनाव की घोषणा करने वाला है और हाईकोर्ट के फैसले का असर इन चुनावों पर भी पड़ सकता है।
क्या है मामला
नरोत्तम मिश्रा पर आरोप है कि उन्होंने साल 2008 के विधानसभा चुनाव में पेड न्यूज पर खर्च की गई रकम को अपने चुनावी खर्च में नहीं दर्शाया था। कांग्रेस के पूर्व विधायक राजेंद्र भारती ने इस संबंध में चुनाव आयोग में शिकायत की थी, जिसके बाद 2009 में उन पर कार्रवाई की गई थी। राजेंद्र भारती ने नरोत्तम मिश्रा पर 2008 के चुनावों के दौरान पेड न्यूज और चुनाव खर्च की झूठी जानकारी देने का आरोप लगाया था। इसके बाद चुनाव आयोग ने इसी साल 23 जून को नरोत्तम को 3 साल तक चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित कर दिया था। चुनाव आयोग ने पाया था कि उन्होंने साल 2008 के विधानसभा चुनाव में पेड न्यूज पर खर्च की गई रकम को अपने चुनावी खर्च में नहीं दर्शाया था। इसके बाद मंत्री नरोत्तम मिश्रा को दिल्ली हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली थी जब हाईकोर्ट की डबल बेंच ने नरोत्तम मिश्रा को अयोग्य करार दिए जाने के लिए चुनाव आयोग के फैसले को निरस्त कर दिया है। साथ ही हाईकोर्ट ने सिंगल बेंच के फैसले को भी रद्द करने का फैसला दिया था।
ज्ञात हो 18 मई को मध्य प्रदेश के जल संसाधन और जनसंपर्क मंत्री नरोत्तम मिश्रा को चुनावी खर्च की सही जानकारी न देने (पेड न्यूज) के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट से राहत मिली थी। हाईकोर्ट की डिविजनल बेंच ने चुनाव आयोग के उस आदेश को रद्द कर दिया था जिसमें आयोग ने नरोत्तम को विधानसभा सदस्यता से अयोग्य घोषित किया था। उनके 3 साल तक चुनाव लड़ने पर भी रोक लगाई गई थी। यह मामला 2008 के विधानसभा चुनाव में खर्च से जुड़ा है। फैसले के चलते नरोत्तम पिछले साल राष्ट्रपति चुनाव में वोट नहीं डाल पाए थे।