मुंबई,मी-टू कैंपेन के तहत बॉलिवुड, राजनीति और मीडिया के कई दिग्गजों पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगे हैं। अधिकतर मामले साथ काम करने वाले लोगों से जुड़े हैं। ऐसे में कार्यस्थल पर प्रिवेंशन ऑफ सेक्शुअल हैरसमेंट (पीओएसएच) कानून को पूरी तरह से लागू करने के लिए कर्मचारियों को ट्रेनिंग देने वाली कंपनियों की डिमांड बढ़ गई है। इस बीच कानूनी सेवा प्रदाता कंपनियों और संगठनों की सक्रियता बढ़ गई है। कार्यस्थल पर प्रिवेंशन ऑफ सेक्शुअल हैरसमेंट (पीओएसएच) कानून को पूरी तरह से लागू करने के लिए कर्मचारियों और आंतरिक शिकायत समिति (आईसीसी) के सदस्यों को ट्रेनिंग देने वाली कंपनियों की डिमांड बढ़ गई है। कंपनियां पिछले कुछ दिनों से कानून और ट्रेनिंग मॉड्यूल से संबंधित सामग्री तेजी से डाउनलोड कर रही हैं। स्थिति यह है कि ट्रेनिंग सॉल्यूशन प्रोवाइडर रेनमेकर की वेबसाइट तक क्रैश हो गई। रेनमेकर के सीईओ एंटोनी एलेक्स ने कहा कि हमारी वेबसाइट बड़े ट्रैफिक को हैंडल करने में सक्षम है, हालांकि पिछले कुछ दिनों में ट्रैफिक बहुत तेजी से बढ़ा। हजारों लोग पीओएसएच पर फ्री मैटेरियल और पोस्टर डाउनलोड करने के लिए आ रहे हैं।
वेबसाइट लोड को हैंडल नहीं कर पाई और पहली बार क्रैश हो गई। इसे दोबारा शुरू करने के लिए आईटी टीम ने रातभर काम किया। 4 साल पुरानी कंपनी, रेनमेकर के पास आने वाले सवाल-जवाब में पिछले एक सप्ताह में 200 फीसदी की वृद्धि हुई है। इस वित्त वर्ष में कंपनी के टर्नओवर में 250 फीसदी उछाल की संभावना है और मी-टू मूवमेंट का इसमें बड़ा योगदान होगा। एक अन्य विशेषज्ञ कंपनी कोहेयर कंसल्टेंट के पास भी सवालों की संख्या बढ़ गई है। कोहेयर की प्रमुख लीगल कंसल्टेंट और एनजीओ फाउंडर देविका सिंह ने कहा कि यौन उत्पीडन से जुड़े सवाल और कानूनी लड़ाई में बिजनस की बड़ी संभावना है। उन्होंने कहा कि उनके पास बहुत से वकीलों के फोन आ रहे हैं जो इस क्षेत्र में उतरना चाहते हैं।
देविका ने कहा कि इस समय मी-टू मूवमेंट को लेकर कंपनियां पैनिक मोड में हैं। पीओएसएच पर कर्मचारियों की ट्रेनिंग को लेकर होड़ मच गई है।
उन्होंने यह भी कहा कि सेक्शुअल हैरसमेंट केस में महिलाओं को सहज करने के लिए उन्हें धैर्य से सुनने की जरूरत होती है। ऐसे मामले केवल कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा नहीं हैं, सदमे से गुजर रहे एक व्यक्ति को संभालना भी होता है। कॉम्पलायकारो सर्विसेज के फाउंडर और डायरेक्टर विशाल केडिया ने कहा कि कंपनियां यह पूछने आ रही हैं कि क्या पीड़ित महिलाएं कई सालों के बाद शिकायत कर सकती हैं और इसका कानूनी प्रभाव क्या है। पिछले कुछ दिनों में छोटी और मध्यम दर्जे की कंपनियों ने रेनमेकर से अपने यहां ट्रेनिंग के लिए संपर्क किया है। एलेक्स ने कहा जिन कंपनियों ने पहले हमारी अपीलों को दरकिनार कर दिया था, वे अब कॉल कर रही हैं और अपने यहां आईसीसी मेंबर्स और कर्मचारियों के लिए ट्रेनिंग की मांग कर रही हैं।
मी-टू कैंपेन की वजह से कानून प्रशिक्षण से जुड़ी कंपनियों की मांग बढ़ी
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