नई दिल्ली,भारत की अंडर-19 क्रिकेट टीम की खिताबी जीत में अहम भूमिका निभाने वाले ओपनर यशस्वी जायसवाल ने टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा 214 रन बनाकर सबको प्रभावित किया है। यशस्वी के इस बेहतरीन खेल के पीछे उसके कड़े संघर्षों की कहानी भी छिपी है। अंडर-19 टीम के साथ यहां तक का सफर हासिल करना यशस्वी के लिए आसान नहीं रहा है। यह उनकी कड़ी मेहनत और संघर्ष का ही परिणाम है कि आज सब उनके खेल की तारीफ कर रहे हैं। यशस्वी सिर्फ 11 साल के थे जब उन्होंने उत्तर प्रदेश के छोटे से जिले भदोही से मुंबई तक का सफर किया था और उनके पास रहने के लिए कोई जगह नहीं थी। यशस्वी ने कहा, ‘मैं सिर्फ यही सोचकर आया था कि मुझे बस क्रिकेट खेलना है।’ यशस्वी इस दौर एक टेंट में रहते थे और उनके पास बिजली, पानी, बाथरूम जैसी सुविधाएं भी नहीं थीं। यहां तक कि यशस्वी को अपना खर्च चलाने के लिए गोलगप्पे की दुकान पर काम भी करना पड़ा। यशस्वी ने कहा कि मुझे गोलगप्पे बेचना अच्छा नहीं लगता था क्योंकि जिन लड़कों के साथ मैं क्रिकेट खेलता था, जो सुबह मेरी तारीफ करते थे, वही शाम को मेरे पास गोलगप्पे खाने आते थे। उन्हें ऐसा करने पर बहुत बुरा लगता था लेकिन जरूरत के कारण उन्हें यह काम करना पड़ता था।
भारत के पूर्व महान बल्लेबाज सचिन तेंडुलकर ने उन्हें कहा है कि यह सिर्फ एक शुरुआत है और उन्हें अभी और खेलना है। यशस्वी के अंदर महज पांच साल की उम्र से क्रिकेट का जुनून सवार था। कोच ने यशस्वी की प्रतिभा को पहचानकर उन्हें लगातार खेलने के लिए प्रेरित किया।
कोच ने प्रतिभा को पहचाना
उस पर कोच ज्वाला सिंह की नजर पड़ी और उन्होंने उसकी प्रतिभा को पहचाना और अपने साथ रखने लगे। कोच ने कहा कि यशस्वी को मैंने उसे बल्लेबाजी करते देखा। वह ए-डिविजन गेंदबाज के खिलाफ इतना अच्छा खेल रहा था कि मैं उससे प्रभावित हुआ बिना नहीं रह सका। मेरे एक दोस्त ने मुझे बताया, ‘यह लड़का कई मुश्किलों से गुजर रहा है, इसका कोई कोच नहीं है। इसके माता-पिता भी यहां नहीं रहते।