नई दिल्ली,आमतौर पर सभी बच्चे जब पहली बार स्कूल जाते हैं तो रोते हैं। इस दौरान माता-पिता बच्चों को जबरदस्ती स्कूल भेजकर अपनी जिम्मेदारी पूरी करना चाहते हैं। अगर आप भी ऐसा ही करते हैं तो ध्यान रखें बच्चे को डरा धमकाकर स्कूल भेजने की जगह उसे समझा कर भेजें। अगर आप ऐसा नहीं करते तो तो बच्चा स्कूल के नाम से ही डर जाएगा। पहले उससे न जाने का कारण जाने क्योंकि बच्चे कई बार स्कूल में होने वाली किसी घटना या डर के कारण नहीं जाते।
बचपन में ही स्कूल का डर, रोक टोक, वहां का माहौल जिससे बच्चा स्कूल का नाम सुनते ही रोना शुरू कर देता है। ऐसी बातों को सुन कर बच्चा स्कूल को जेल समझने लगता है, कई बार इन बातों का बच्चों पर नकारात्मक असर भी देखने को मिलता है।
और कई बच्चे तो रात को सोते समय भी बड़बड़ाने लगते है, की नहीं में स्कूल नहीं जाऊंगा होमवर्क नहीं हुआ तो मैडम मारेगी, तो इधर बच्चे के दिल में डर हो जाता है, की स्कूल नहीं जाऊंगा तो मार पड़ेगी, और उधर स्कूल के बारे में गलत विचार उसके मन में उठते रहते है, और बच्चा स्कूल की छुट्टी होते ही ऐसा महसूस करता है, जैसे की किस जेल से छूट रहा हो। छुट्टी वाले दिन ही उसकी खुशी वाला असली चेहरा देखने को मिलता है। तो बच्चो को स्कूल जाने के लिए कतराना नहीं चाहिए, और आप उसे किस प्रकार इस बात को समझाएं, इसी बारे में हम आपको कुछ टिप्स देने जा रहे है।
बच्चों को स्कूल में जाने के बाद होने वाली अच्छी बातों के बारे में बताएं:-
जैसे की लंच में सब बच्चों के साथ मिलकर खाना खाने, खेलने, और कहानियां सुनाने की बातें।
पढाई को बोझ न बनायें
कई माँ बाप बच्चा अभी स्कूल जाता नहीं है, और उसे बोलने लग जाते है, की तुम्हें तो डॉक्टर बनना है, इंजीनियर बनना है, और बच्चा जब स्कूल जाने लगता है, तो घर में आने के बाद भी पढ़ाई का बी दबाव रहता है जिससे बच्चा पढ़ाई से भी ऊब जाता है। पहले तो शुरूआती दिनों में आपको बच्चे पर कोई दबाव न डालें। पढ़ाई के साथ ही उसे अन्य कार्यों जैसे ड्राइंग,या आर्ट आदि भी करना चाहिए। ससे भी बच्चों का पढ़ाई के प्रति नज़रिये में बदलाव आता है।
बच्चे को खेलने से न रोकें:-
खेलना हर एक बच्चे का जन्म सिद्ध अधिकार होता है, और ऐसा करने से बच्चे का दिमाग भी तरोताजा होता है इसलिए उसे खेलने से न रोकें।