नई दिल्ली,कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली निजी कंपनी आईएल एंड एफएस को बचाने के लिए भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) और स्टेट बैंक ऑफ (एसबीआई) को बर्बाद करने पर तुले हैं। कांग्रेस प्रवक्ता प्रोफेसर गौरव वल्लभ ने कहा है कि इंफ्रास्ट्रक्चर लीज़िंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेस (आईएल एंड एफएस) लिमिटेड पर 91,000 करोड़ का कर्ज है इस कंपनी में 60 फीसदी हिस्सेदारी प्राइवेट कार्पोरेट सेक्टर की है। इस 60 फीसदी में से 36 फीसदी विदेशी निवेशक और 39.43 फीसदी हिस्सेदारी सरकारी बैंकों और एलआईसी जैसी कंपनियों की है।
उन्होंने कहा, “अपने वित्तीय पाप को छिपाने के लिए मोदी सरकार की कार्य प्रणाली यही रही है कि फायदे वाली सरकारी कंपनियों के पैसे से डूबती हुई कार्पोरेट कंपनियों को उबारना और करोड़ों आम लोगों की बचत को दांव पर लगा देना।” उन्होंने ओएनजीसी का हवाला देते हुए कहा कि किस तरह गुजरात राज्य बिजली निगम (जीएसपीसी) को डूबने से बचाने के लिए ओएनजीसी को इस्तेमाल किया गया। उन्होंने कहा कि नुकसान में चल रही आईडीबीआई को उबारने में एलआईसी का इस्तेमाल किया गया और अब 60 फीसदी निजी हिस्सेदारी वाले आईएल एंड एफएस को बचाने के लिए एलआईसी और एसबीआई को खतरे में डाला जा रहा है।
प्रोफेसर वल्लभ ने बताया, “मोदी शासन के आर्थिक कुप्रबंधन के चलते आईएल एंड एफएस संकट से घिरा है, और हालत यह है कि उसके पास अपना कर्ज उतारना तो दूर, अपने कर्मचारियों को वेतन देने तक के लाले पड़ गए हैं।”
उन्होंने कहा कि वर्तमान वित्त वर्ष 2017-18 में आईएल एंड एफएस की देनदारी 37,089 करोड़ पहुंच गई है, जबकि उसके पास सिर्फ 31,259 करोड़ की परिसंपत्तियां यानी एसेट्स हैं, इसका अर्थ है कि आईएल एंड एफएस के पास पैसे की जबरदस्त किल्लत है. वादे के मुताबिक चुकाए जाने वाले कर्ज या उसके ब्याज को भरना मुश्किल है।
एलआईसी और एसबीआई को 7500 करोड़ देने के लिए मजबूर कर मोदी सरकार आईएल एंड एफएस के घाव पर बैंड-एड लगा रही है, जबकि जरूरत सर्जरी की है। आईएल एंड एफएस को उबारने के लिए एलआईसी और एसबीआई को खतरे में डाला जा रहा है। उनका कहना है कि मोदी सरकार के ऐसे फैसले अर्थव्यवस्था पर बेहद खराब असर छोड़ेंगे।
प्रोफेसर वल्लभ ने एक और आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात का मुख्यमंत्री रहते हुए एक पूरे शहर को आईएल एंड एफएस के हवाले कर दिया था। उन्होंने बताया कि अपने मुख्यमंत्रित्व काल में नरेंद्र मोदी ने गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस और टेक सिटी-गिफ्ट सिटी के नाम से एक परियोजना शुरू की। इसके लिए सरकार ने 886 एकड़ ज़मीन सिर्फ एक रुपए की लीज़ पर दे दी। इस जमीन को गिरवी रखकर अलग-अलग बैंकों से 1100 करोड़ रुपए उगाहे गए। और फिर आईएल एंड एफएस को इसे बनाने का जिम्मा दे दिया गया। इसमें गुजरात सरकार ने सिर्फ 2.5 करोड़ रुपए में आईएल एंड एफएस को इसकी आधी हिस्सेदारी दे दी। उन्होंने कहा कि इस जमीन को पूरी तरह प्रोजेक्ट कंपनी के हवाले कर दिया गया।