नई दिल्ली,पंजाब नेशनल बैंक को अरबों का चूना लगाकर विदेश भागने वाले मुख्य आरोपी कारोबारी नीरव मोदी के प्रत्यर्पण के प्रयासों में जुटी जांच एजेंसियों को ब्रिटिश अधिकारियों से दोहरा झटका लगा है। मंगलवार को उन्हें बताया गया कि प्रत्यर्पण के लिए भेजा गया उनका लेटर ऑफ रिक्वेस्ट भगोड़े हीरा कारोबारी के साथ साझा किया जाएगा। इस लेटर ऑफ रिक्वेस्ट में जांच से जुड़ी जरूरी जानकारियां, सभी सबूत और गवाहों के बयान भी हैं। बताया जा रहा है कि ब्रिटेन के इस फैसले से भारतीय जांचकर्ता खासे परेशान हो गए हैं क्योंकि मोदी इन जानकारियों का इस्तेमाल कोर्ट में कर सकता है। एक रिपोर्ट के अनुसार इन जानकारियों का प्रयोग कर वह प्रत्यर्पण की प्रक्रिया को लंबा खींच सकता है। जांच एजेंसियों ने यूके के अधिकारों से आग्रह किया है कि इस पत्र को नीरव मोदी के साथ शेयर न किया जाए।
आर्थिक घोटालों की जांच करने वाले ब्रिटेन के सीरियस फ्रॉड ऑफिस ने दावा किया कि नीरव मोदी ने 13 हजार करोड़ से अधिक के बैंक घोटाले की कमाई लंदन में ट्रांसफर नहीं की है। हो सकता है उन्होंने ये सब दुबई, हॉगकॉग या यूएई में ट्रांसफर किया हो। एसएफओ ने एक लिखित जवाब में कहा, क्या कोई ऐसा सबूत है जो साबित करे कि आपराधिक आमदनी यूके में ट्रांसफर की गई है? अगर ऐसा है तो कृपया पूरी जानकारी शेयर करें?
जांच में शामिल एक अधिकारी ने कहा कि एसएफओ के जवाब से लगता है कि ब्रिटेन नीरव मोदी के खिलाफ कार्रवाई करने के इच्छुक नहीं है। नीरव मोदी इस साल जून से लंदन में छिपा हुआ है। अधिकारी ने कहा, संभवतः इसीलिए वे लोग नीरव मोदी को हिरासत में नहीं ले रहे हैं जबकि एक महीने पहले ही इस बात की पुष्टि हो चुकी है कि वह वहां छिपा हुआ है। नीरव मोदी और उसके रिश्तेदार मेहुल चोकसी पर फर्जी गारंटी पेपर के जरिए पीएनबी से कर्ज लेने का आरोप है। इंटरपोल ने इस साल जुलाई में नीरव मोदी को ढूंढने और गिरफ्तार करने का निर्देश जारी किया था। विदेश मंत्रालय ने अगस्त के पहले सप्ताह में बताया था नीरव मोदी लंदन में है और गृह मंत्रालय ने मोदी के प्रत्यर्पण के लिए आवेदन भी भेजा था। विदेश मंत्रालय ने नीरव मोदी का पासपोर्ट इस साल फरवरी में रद्द कर दिया था।