सुरक्षा बलों के लिए मुश्किल बना मोस्ट वॉन्टेड नक्सली ‘हिडमा’

रायपुर,छत्तीसगढ़ के घने जंगलों में हिडमा नाम का नक्सल आतंकी सुरक्षा बलों के लिए संकट बना है। उसे किसी ने देखा नहीं है, लेकिन हर खून-खराबे के पीछे उसकी मौजूदगी होती है। वह बस्तर में माओवाद को वह अपने दम पर चलाता है। सुरक्षाबल इस व्यक्ति की तलाश में जुट गए हैं, उन्होंने उसे ‘हिडमा’ नाम दिया है।
सुरक्षा बलों के अनुसार उसे देवा भी कहा जाता है, लेकिन उसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। हिडमा हथियार उठाने से पहले क्या था, यह किसी को नहीं पता। बताया जाता है कि वह शायद 51 साल का है। वह छोटे कद का दुबला-पतला व्यक्ति है, जिसकी सिर्फ पसलियां दिखती हैं। हालांकि, उसकी शक्ल क्या है, यह कोई नहीं जानता।
कुछ तस्वीरें सुरक्षाबलों के पास हैं, जिनमें से कोई हिडमा की हो सकती है। हाल ही में सरेंडर करने वाले माओवादी नेता पहाड़ सिंह ने उसे गरिला कमांडर बताया है। पहाड़ ने बताया है कि हिडमा को पकड़ लेने से बस्तर में विद्रोही नेटवर्क की कमर टूट जाएगी। सबसे पहले हिडमा का नाम 2013 में झीरम घाटी नरसंहार में आया था। उसके बाद से सुरक्षाबलों पर हर बड़े हमले के बाद हिडमा का नाम सामने आता रहा है।
झीरम घाटी में 2013 में माओवादी हमले में तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, उनके बेटे दिनेश, विपक्ष के पूर्व नेता महेंद्र कर्मा, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्या चरण शुक्ल और पूर्व विधायक उदय मुदलियार समेत 27 लोग मारे गए थे। हिडमा का हाथ अप्रैल 2017 में बुर्कपाल हमले में भी आता है, जिसमें सीआरपीएफ के 24 जवान मारे गए थे।
पुलिस का मानना है कि वह कोई स्थानीय आदिवासी था जो पीपल्स लिबरेशन गरिला आर्मी बटालियन नंबर एक और माओवादियों के साउथ सब-जोनल कमांड का अध्यक्ष बना। स्थानीय काडर उसे लीजेंड कहते हैं। पुलिस का कहना है कि वह उनकी उम्मीदों पर खरा उतरकर काडर का मनोबल बढ़ाता है।
हिडमा दक्षिण सुकमा क्षेत्र में रहता है, जो उसका बेस है और वह चार-स्तरीय सुरक्षा के साथ चलता है। इस इलाके को लिबरेटेड जोन कहा जाता है। हालांकि, अब सुरक्षाबलों ने यहां अंदरूनी इलाकों में रास्ते बना लिए हैं और हिडमा को पकड़ने की कोशिश में लगे हैं। हाल के ऑपरेशन्स में सुरक्षाबलों ने हिडमा के कई ठिकाने ध्वस्त किए हैं लेकिन हर बार वह बच निकलता है। एक अधिकारी ने बताया कि वह एक दम बीच के क्षेत्र में रहता है, इसलिए उसका सुरक्षा घेरा तोड़ना मुश्किल है। उन्होंने बताया कि उसके गार्ड्स गोलीबारी में सुरक्षा बलों से उलझते हैं, जिससे उसे भागने का मौका मिल जाता है। हालांकि, उसके अनेक नजदीकी लोग मारे गए हैं। उसका सपॉर्ट सिस्टम कमजोर हुआ है। लेकिन अब तक उसका सुराग नहीं लगाया जा सका है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *