शिवराज सरकार का खजाना खाली,वेतन बाँटने के लाले,कर्ज लेकर चलेगा खर्चा,ओवरड्राफ्ट की नौबत

भोपाल,एमपी की शिवराज सरकार का खजाना खाली हो गया है,कर्मचारियों को वेतन बांटने के लाले पद गए हैं. आर्थिक संकट लगातार बढ़ रहा है। मुफ्तखोरी की योजनाएं बनाने और टैक्स पेयर का धन खुले हाथ से लुटाने की आदत ने आमदनी कम और खर्च ज्यादा की नौबत ला दी है। पिछले कुछ माह में वेतन बांटने लायक राजस्व एकत्रित हो रहा है। यदि जल्द ही हालत नहीं सुधरी तो अक्टूबर नवंबर माह में ओवरड्राफ्ट की स्थिति से मध्यप्रदेश को गुजरना पड़ सकता है।
मध्य प्रदेश के खजाने में हमेशा लगभग 8000 करोड रुपए उपलब्ध होते थे। हर माह सरकार को लगभग 1600 करोड रुपए वेतन और भत्तों के बांटने होते हैं। पिछले 3 माह में कई बार सरकारी खजाने में इससे कम पैसा था। सरकार को कर्ज लेकर अपने खर्च की राशि जुटाना पडी। मध्य प्रदेश सरकार ने पिछले 5 माह में 5 बार बाजार से 6000 करोड का कर्ज लिया है।
जुलाई और अगस्त माह में सरकार के पास मात्र 2000 करोड रुपए बचे थे। ऐसी स्थिति में आने वाले माहों में सरकार को भुगतान करने के लिए ओवरड्राफ्ट की स्थिती से गुजरना पड़ सकता है।
मध्य प्रदेश सरकार के ऊपर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लगभग 2 लाख करोड़ का कर्ज हो चुका है। रिजर्व बैंक आफ इंडिया की लिमिट के अनुसार सरकार अब ज्यादा कर्ज नहीं ले पाएगी, जिसके कारण ओवरड्राफ्ट की भी स्थिति से सरकार को गुजरना पड़ सकता है।
वित्त विभाग डैमेज कंट्रोल में जुटा
वित्त मंत्रालय के प्रमुख सचिव अनुराग जैन और वित्त मंत्रालय के अन्य अधिकारी लगातार विभिन्न विभागों के खर्चो की समीक्षा कर रहे हैं। वित्त मंत्रालय को जिन विभागों से राजस्व एकत्रित होता है, उन पर भी लगातार निगाह रख रहे हैं। वित्त मंत्रालय खर्च को सीमित करने के लिए उपाय खोज रहा है, जिससे सरकार को ओवरड्राफ्ट की स्थिति में ना जाना पड़े। वित्त मंत्रालय की चिंता यह भी है कि इसी वर्ष मध्य प्रदेश विधानसभा के चुनाव हैं। इस दौरान राज्य सरकार के खर्च बढ़ेंगे, इसको लेकर भी वित्त मंत्रालय की चिंताएं बढ़ी हुई हैं।

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