नई दिल्ली,बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव आईआरसीटीसी घोटाले के मामले में शुक्रवार को पटियाला हाउस स्थित सीबीआई की विशेष अदालत में पेश हुए। कोर्ट ने मामले पर सुनवाई करते हुए सभी आरोपियों को एक लाख के निजी मुचलके पर जमानत दे दी है। इस मामले में पौने दस बजे तेजस्वी अपनी मां के साथ पटियाला हाउस कोर्ट पहुंचे थे। सभी आरोपियों ने कोर्ट में जमानत की अर्जी दी। जज ने सुनवाई करते हुए सभी आरोपियों एक-एक लाख के निजी मुचलके पर जमानत दे दी है। गौरतलब है इस मामले में पिछली सुनवाई के दौरान बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को समन जारी किया गया था।
सीबीआई ने सुनवाई के दौरान कोर्ट ने आरोपियों के वकील को जमानत अर्जी की कॉपी सीबीआई को देने को कहा। सुनवाई के दौरान तेजस्वी यादव अपनी मां राबड़ी देवी के बगल में ही बैठे रहे। कॉपी देखने के बाद कोर्ट ने सभी को जमानत दे दी। सीबीआई ने आईआरसीटीसी घोटाला मामले में 14 लोगों के खिलाफ चार्जशीट फाइल की है। इस मामले में पहले से ही आठ लोगों के नाम दर्ज थे, जिसमें 6 अन्य नाम भी जोड़े गए हैं। आरजेडी समर्थकों की नजर कोर्ट के आदेश पर टिकी हुईं थी कि तेजस्वी और राबड़ी को जेल होगी है फिर बेल मिलेगी पेशी के लिए दोनों बुधवार को ही पटना से दिल्ली पहुंच गए थे। कोर्ट ने लालू यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बेटे तेजस्वी यादव समेत कुल 14 आरोपियों को समन जारी किया था।
गौरतलब है कि लालू यादव 2004 से 2009 के बीच रेलमंत्री थे, तब रेलवे के पुरी और रांची स्थित बीएनआर होटल को रख-रखाव और इम्प्रूवमेंट के लिए आईआरसीटीसी को ट्रांसफर किया था। इसके लिए टेंडर विनय कोचर की कंपनी मेसर्स सुजाता होटल्स को दिए गए। टेंडर प्रॉसेस में नियम-कानून को बड़े स्तर पर ताक पर रखा गया था। आरोप है कि इसके एवज़ में 25 फरवरी 2005 को कोचर ने पटना की बेली रोड स्थित 3 एकड़ जमीन सरला गुप्ता की कंपनी मेसर्स डिलाइट मार्केटिंग कंपनी लिमिटेड (डीएमसीएल) को 1.47 करोड़ रुपए में बेच दी, जबकि बाजार में उसकी कीमत 1.93 करोड़ रुपए थी। इसे कृषि भूमि बताकर सर्कल रेट से काफी कम पर बेचा गया, स्टाम्प ड्यूटी में गड़बड़ी की गई। बाद में 2010 से 2014 के बीच यह बेनामी प्रॉपर्टी लालू की फैमिली की कंपनी लारा प्रोजेक्ट को सिर्फ 65 लाख रुपये में ट्रांसफर कर दी गई, जबकि सर्कल रेट के तहत इसकी कीमत करीब 32 करोड़ थी और मार्केट रेट 94 करोड़ रुपए था। एफआईआर में कहा गया है कि कोचर ने जिस दिन ज़मीन डीएमसीएल को बेची गई उसी दिन रेलवे बोर्ड ने आईआरसीटीसी को उसे बीएनआर होटल्स सौंपे जाने के अपने फैसले के बारे में बताया।