जकार्ता,भारत की महिला हॉकी टीम को एशियाई खेलों में रजत पदक से संतोष करना पड़ा है। 1998 के बाद एशियाई खेलों में महिला हॉकी स्पर्धा में भारतीय टीम ने रजत पदक अपने नाम किया। इस खिताबी मुकाबले में भारत जापान से 1-2 से हार गया। इस मैच में भारतीय टीम की ओर से एकमात्र गोल नेहा गोयल (25वें मिनट) ने किया, जबकि जापान की टीम ने 2 गोल दागे। जापान ने ये दोनों गोल पेनल्टी कॉर्नर पर किए। इस मैच में तीन ही पेनल्टी कॉर्नर मिले, भारत को एक पेनल्टी कॉर्नर मिला, जिस पर वह गोल करने से चूक गया। इससे पहले 1998 एशियाड में भारतीय टीम ने रजत पदक अपने नाम किया था। भारत के नाम एशियाड खेलों की महिला हॉकी स्पर्धा में सिर्फ एक गोल्ड मेडल है, जो उसने 1982 में अपने नाम किया था।
मैच के पहले ही क्वॉर्टर में दोनों टीमों ने आक्रामक हॉकी की शुरुआत की और दोनों टीमों ने गोल करने के मौके तलाशे। मैच के 10वें मिनट में भारत को पहला पेनल्टी कॉर्नर मिला लेकिन इसे जापानी गोलकीपर ने नाकाम कर दिया। अगले ही मिनट में जापान ने पेनल्टी कॉर्नर हासिल कर लिया और मैच के 11वें मिनट पर भारत पर 1 गोल की बढ़त ले ली।
मैच के दूसरे क्वॉर्टर में दोनों टीमों ने एक बार फिर संभल कर शुरुआत की। जापानी टीम 1 गोल की बढ़त ले चुकी थी और वह और गोल दागकर भारत पर दबाव बढ़ाना चाह रही थी। लेकिन इस बार भारतीय डिफेंस ने मजबूती दिखाई और विरोधी टीम को कोई मौका नहीं दिया। इस बीच मैच के 25वें मिनट में भारतीय टीम ने मौका बनाया और यहां बराबरी का गोल दागकर राहत की सांस ली। यह फील्ड गोल था, जिस पर नवनीत ने रिवर्स हिट कर गेंद को गोल की ओर दिशा दी। यहां नेहा गोयल ने मुस्तैदी दिखाते हुए बॉल को गोल पोस्ट में भेजने में गलती नहीं की और इसी के साथ भारत मैच में बराबरी पर आ गया। हाफ टाइम तक दोनों टीमें 1-1 की बराबरी पर थीं।
मैच के तीसरे क्वॉर्टर में स्कोर में बराबरी करने के बाद भारतीय टीम ने जापान पर अपने हमले बढ़ा दिए। टीम जापान पर बढ़त बनाने का लगातार प्रयास करती दिख रही थी। लेकिन खेल के 44वें मिनट में भारत ने यहां जापान को पेनल्टी कॉर्नर दे दिया। जापान ने यहां कोई गलती नहीं करते हुए सफल शॉट खेला और बॉल को गोल पोस्ट में दाग कर भारत पर 1-2 से बढ़त ले ली।