श्रद्धांजलि सभा में याद किये गए दिवंगत राजपाल टंडन,सीएम ने कहा जुझारू व्यक्तित्व के धनी थे

रायपुर, छत्तीसगढ़ के पूर्व राज्यपाल स्वर्गीय बलरामजी दास टंडन को आज यहां राजभवन मेें मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह, विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल, समस्त मंत्रीगण, जनप्रतिनिधिगण, प्रशासनिक अधिकारियोें एवं गणमान्य नागरिकों ने श्रद्धासुमन अर्पित किये। श्रद्धांजलि सभा में पूर्व राज्यपाल श्री टंडन की धर्मपत्नी श्रीमती बृजपाल टंडन, उनके सुपुत्र संजय टंडन भी उपस्थित थे।
श्रद्धांजलि सभा मेें कीर्तन अरदास किया गया और पूर्व राज्यपाल श्री टंडन की जीवनी पर आधारित लघुवृत्त चित्र दिखाया गया। सभा के अंत में दो मिनट मौन रखकर उनकी आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की गई।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने दिवंगत राज्यपाल को श्रध्दांजलि अर्पित करते हुए कहा कि श्री टंडन हमारे राज्यपाल ही नहीं, हम सबके पालक थे और जब तक यहां थे, हर महत्वपूर्ण मौके पर हमारा मार्गदर्शन करते थे और समस्याओं का समाधान भी करते थे। वे जुझारू व्यक्तित्व के धनी थे।
उन्होंने कहा कि श्री टंडन में चुनौतियां का सामना करने का अदम्य साहस था। जब पंजाब में आतंकवाद चरम सीमा पर था और अमृतसर से लोकसभा चुनाव लड़ने लिए कोई तैयार नहीं था, तब वे सामने आए और चुनाव मेें खड़े हुए। उन्होंने कहा कि वे लोकतंत्र की रक्षा के लिए हर कुर्बानी देने को तैयार है। इस दौरान उन पर अनेकों आतंकवादी हमले भी हुए उसके बाद भी वे मजबूती से टिके रहे।
डॉ. सिंह ने कहा कि श्री टंडन जी की ख्याति का पता इसी से लगता है कि जब उनके देहावसान की खबर आई तब देश के वरिष्ठतम नेताओं ने उन्हें याद करते हुए अपनी श्रद्धांजलि दी। यह उनके राजनीतिक कद की भी पहचान है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जब मेरा जन्म 1952 में हुआ तो श्री टंडन ने 1953 से एक पार्षद के रूप में अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत की थी। इनसे ही उनके लंबे राजनीतिक अनुभव का परिचय मिलता है। उनकी वाणी में अद्भुत शक्ति और मिठास थी। उनमें जितनी विनम्रता थी उतना ही साहस था। वे इतिहास के कई दृश्यों के गवाह थे। उनमें ज्ञान का भंडार था। वे जीवन भर राजनीतिक रूप से संघर्ष करते रहे, आपातकाल के समय जेलयात्रा भी की।
मुख्यमंत्री ने पूर्व राज्यपाल की धर्मपत्नी श्रीमती बृजपाल टंडन की तारीफ करते हुए कहा कि उनमें गजब का जब्जा है। उन्होंने पूरे जीवन भर स्वर्गीय टंडन का कदम से कदम मिलाकर साथ दिया। अत्यंत मजबूती से हर मुश्किल का सामना किया। उनके देहावसान के समय भी वे हिम्मत नहीं हारी और हमें भी ढाढस बंधाया।

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