जबलपुर, इन दिनों शहर की शराब दुकानें खासी चर्चाओं में हैं, मयकशों की माने तो उन्हें शराब में झूमने के लिये न्यूनतम से अधिक और अधिकतम से भी अधिक रेट पर शराब खरीदने के लिये जेबें ढीली करना पड़ रहीं हैं। कहा जा रहा है कि रात १२ बजे के बाद तो शराब की कीमत में १० प्रतिशत की एक्स्ट्रा वृद्धि भी हो जाती है। क्योंकि इसके बाद शराब दुकानों के चोर दरवाजों से चोरी-छिपे शराब बेची जाती है। ऐसा नहीं है कि इस बात से आबकारी विभाग अंजान है। शराब दुकानें बंद करवाने और निर्धारित समय के बाद अवैध रूप से शराब की बिक्री रुकबाने का काम यूं तो आबकारी विभाग का है लेकिन विभाग आंखें मूंदे रहता है और शराब दुकानों और शराबियों से जिला पुलिस जूझती रहती है। बहरहाल मयकशों की माने तो इन दिनों पूरे शहर में एक मात्र बस स्टेंड की दुकान को छोड़कर एमआरपी मेग्जीमम रीटेल प्राइज (न्यूनतम मूल्य) और एमएसपी मेग्जीमम सपोर्ट प्राइज (अधिकतम मूल्य) से भी अधिक दाम पर शराब बेची जा रही है। देशी और विदेशी दोनों ही तरह की शराब में यह खेल खेला जा रहा है। इस पर आबकारी विभाग मौन साधे बैठा है। कहा जा रहा है कि आबकारी विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के साथ पदस्थ रह चुके एक कनिष्ठ अधिकारी के पास देशी शराब के वेयर हाउस का प्रभार है। कजरवारा और सिहोरा का भी प्रभार उनके पास है। ये अधिकारी अधिकांशतः वरिष्ठ अधिकारियों के साथ ही पदस्थ रहे हैं। इसलिये भी चर्चाओें को बल मिल रहा है। चर्चा तो यह है कि आबकारी विभाग और शराब दुकानों के ठेकेदारों के बीच सामंजस्य बन जाने से शराब अधिकतम मूल्य पर बिक रही है और मयकश लुट रहे हैं। एक चर्चा यह भी है कि आबकारी विभाग के जिम्मेदारों ने अपनी शर्तों पर शराब ठेकेदारों को कुछ दिनों की छूट दे रखी है, इस शर्त के बदले क्या खेल हुआ है ये तो विभाग और ठेकेदार ही जाने..? फिलहाल मदिरा-प्रेमियों की शिकायत को जायज माना जाये तो बियर की बॉटर १८० रुपयों की जगह में २४० रुपयों और अंग्रेजी शराब की मीडिय रेंज की शराब ६८० रुपयों की जगह ८०० रुपयों में बिक रही है। देशी प्लेन का पौआ ६० की जगह ७० में बिक रहा है इसी तरह मसाला का पौआ ६० की जगह ८० रुपये का बिक रहा है। ये अधिकतम रेट से भी अधिक रेट है और रात १२ बजे के बाद इनमें १० रुपये की अधिक वृद्धि हो जाती है।