जबलपुर,जबलपुर पुलिस अधीक्षक शशिकांत शुक्ला के तबादले को लेकर जबलपुर में सियासी रंग परवान चढ़ रहा है। भाजपा विधायक से विवाद और कांग्रेसियों की गाड़ी में बैठकर सट्टा रेड करने की कार्यवाही कप्तान साहब को मंहगी पड़ गई। कुछ ऐसी ही मंशा को लेकर सोशल मीडिया पर कमेंट्स किये जा रहे हैं। भाजपा इसे जहां अपनी जीत बता रही है तो वहीं काग्रेंसी सोशल मीडिया पर सत्ता पक्ष को घेरते हुये सरकार की मंशा पर सवाल खड़े कर रही है। जहां तक जबलपुर एसपी के कार्यकाल का सवाल है तो पहले ही दिन से वे विवादों में घिर गये। जिस दिन उन्होंने जबलपुर एसपी का पद संभाला था उसी दिन उनका विवाद ट्रेफिक व गोरखपुर पुलिस द्वारा एक ट्रक डाइवर के साथ की गई मारपीट के मामले में पूर्व मंत्री हरेन्द्रजीत सिंह बब्बू के साथ हो गया था नौबत यहां तक आ गई थी कि बब्बू कार्यालय के बाहर धरने पर बैठ गये थे। दूसरा मामला उस वक्त गले पड़ा जब तीन पत्ती चौराहे पर भाजपाईयों पर पुलिस ने लाठी चार्ज किया और नगर महामंत्री संदीप जैन के हाथ, पैर टूट गये। उस वक्त तत्कालीन कलेक्टर महेश चंद्र चौधरी के मैनेजमेंट और भाजपा के बैक फुट पर आने से पूरा मामला मैनेज हो गया नहीं तो एसपी का तबादला तो उसी वक्त होने की तैयारी हो गई थी। पिछले कुछ महीनों से पुलिस कप्तान और भाजपा के नेताओं के बीच सामंजस्य नहीं बैठ रहा था। शहर के थानों में पदस्थ उद्दंड टीआई मसलन अनिल गुप्ता, डी.पी.एस. चौहन जैसे टीआईयों ने भी एसपी की फजीहत कराई अनावश्यक मामलों में उलझनें पैदा कीं। लेकिन इन उलझनों को कप्तान सुलझाने के बजाये खुद उलझते नजर आये। लिहाजा स्थानीय नेताआेंं ने एसपी के खिलाफ मोर्चा खोल लिया और नेताओं के चाटूकार टीआई एचआर पांडे, इंद्रमणि पटेल जैसों ने नेताओं को हवा दी। ऐसे ही थाना प्रभारियों के कारण तत्कालीन एसपी एमएस सिकरवार भी एक साल में यहां से चलते बने और सरकार ने उन्हें लूप लाईन में पदस्थ किया। अब शशिकांत शुक्ला भी लूप लाईन में भेज दिये गये। बहरहाल तबादला सरकारी नौकरी में एक प्रशासनिक प्रक्रिया है इसे कुछ घटनाक्रमों से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए लेकिन जिस तरह से सोशल मीडिया पर भाजपाई जश्न मना रहे हैं और कांग्रेस अपनी तीखी प्रतिक्रिया दे रहे हैं उससे एसपी का तबादला चर्चाओं में आ गया है।