लंदन, शोधकर्ता वैज्ञानिकों का दावा है कि जिस बच्चे ने मां का दूध पिया है उसे एलर्जी नहीं होती। मां के दूध में ओलिगोसैकराइड्स (एचएमओ) पाया जाता है लेक्टोज और वसा के बाद तीसरा सबसे बड़ा ठोस घटक है। माइक्रोबायोटा एलर्जी की बीमारी पर असर डालता है। वो कहते हैं न कि मां का दूध बच्चे के लिए सबसे अच्छा होता है। मां का दूध बच्चे के लिए जरूरी हर पोषक तत्व से भरपूर होता है और उसकी उम्र के साथ-साथ मां के दूध में भी बदलाव होते रहते हैं। हाल ही में एक नया खुलासा हुआ है। जिसके अनुसार मां का दूध बच्चों को एलर्जी से बचाने में यह मददगार होता है। बचपन में मां के दूध में मिलने वाला जटिल शर्करा का विशेष संयोजन भविष्य की होने वाली एलर्जी से बचाने में मददगार होता है। शोधकर्ताओं बताते हैं कि मां के दूध में मिलने वाले इस शर्करा का लाभ भले ही बचपन में नहीं मिले लेकिन भविष्य में रोग से लड़ने के लिए यह प्रतिरोधी क्षमता का काम करता है। मां के दूध में ओलिगोसैकराइड्स (एचएमओ) पाया जाता है जिसकी संरचनात्मक में जटिल शर्करा के अणु होते हैं। यह मां के दूध में पाए जाने वाले लेक्टोज और वसा के बाद तीसरा सबसे बड़ा ठोस घटक है। असल में बच्चे इसे पचा नहीं पाते हैं लेकिन लेकिन शिशु के आंत में माइक्रोबायोटा के विकास में प्रिबॉयोटिक के तौर पर काम करते हैं। माइक्रोबायोटा एलर्जी की बीमारी पर असर डालता है। शोध में एक साल की उम्र होने पर बच्चे की त्वचा की जांच की गई, जिसमें पाया गया कि स्तनपान करने वाले शिशुओं ने खाद्य पदार्थ की एलर्जी के प्रति संवेदनशीलता नहीं दिखाई। कनाडा के विनीपेग में मैनिटोबा विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर मेघन आजाद ने कहा, “परीक्षण में पॉजिटिव लक्षण का पाया जाना जरूरी नहीं है कि वह एलर्जी का साक्ष्य हो, लेकिन यह उच्च संवेदनशीलता का संकेत अवश्य देता है।”