पेइचिंग,चीनी यूनिवर्सिटी के पाठ्यक्रमों में राष्ट्रपति शी चिनफिंग के विचारों को शामिल किया जाएगा। इंटरैक्टिव ऑनलाइन कोर्स, उदार फंडिंग और नए शोध संस्थानों से लैस ये विश्वविद्यालय देश और विश्व में राष्ट्रपति शी चिनफिंग के विचार को बढ़ावा देने की दिशा में काम कर रहे हैं। देश भर में पिछले अक्टूबर से कई विश्वविद्यालय ने ‘शी थॉट’ यानी ‘शी के विचार’ को अपने पाठ्यक्रम में मुख्य रूप से शामिल किया है। माओ युग की समाप्ति के बाद पहली बार किसी नेता को अकादमिक रूप से इतना महत्व दिया जा रहा है। इस साल चीन की रबर स्टांप संसद ने ऐतिहासिक संविधान संशोधन को मंजूरी दी थी। इससे शी चिनिफिंग के 2 बार के कार्यकाल की अनिवार्यता खत्म कर उनके आजीवन सत्ता में बने रहने का रास्ता साफ हो गया। इसी आलोक में शी चिनफिंग के विचारों के रूप में पार्टी की विचारधारा को फिर से स्वीकृति दिलाने की यह कोशिश शुरू हुई है।
इस क्रम में अनिवार्य वैचारिक कक्षाओं को विश्वविद्यालयों द्वारा अपडेट किया जा रहा है। ऐसा लीडरशिप के तरफ से मिले निर्देश के बाद किया जा रहा है जिसमें कहा गया है कि शी के विचारों को पाठ्यपुस्तकों, कक्षाओं और स्टूडेंट्स के दिमाग में जगह मिलनी चाहिए। पिछले साल अक्टूबर से अबतक विश्वविद्यालयों, सरकार और मंत्रालयों में कम से कम 30 ‘शी थॉट’ रिसर्च इंस्टिट्यूट की स्थापना हो चुकी है। इसके अलावा स्टूडेंट्स, अधिकारियों और आम लोगों के लिए पूरे देशभर में लेक्चर कोर्स भी आयोजित किए जा रहे हैं। प्रतिष्ठित सिंघुआ विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर और चीनी विशिष्टवाद के विशेषज्ञ हु अनगैंग कहते हैं कि एक नेता के उभार की चीन को लंबे समय से जरूरत थी। उन्होंने कहा, ‘चीन नए युग में प्रवेश कर चुका है और दुनिया में लोक हित पहुंचाने की शुरुआत हो रही है, जैसा कि मैंने कहा कि यह 10 साल पहले हुआ होगा।’ वहीं, चीनी विशेषज्ञ मानते हैं कि शी को समर्थन सुनिश्चित करने के अलावा विश्वविद्यालयों की कोशिश कम्युनिस्ट पार्टी की विचारधारा को समाज में गर्व के रूप में वापस लाना है जो कि दशकों से तेजी से हुए आर्थिक विकास के कारण राजनीतिक उपेक्षा का शिकार रही है।
चीनी यूनिवर्सिटी के पाठ्यक्रमों में शामिल हों राष्ट्रपति शी चिनफिंग के विचार
