न्यूयार्क,आजकल जिस प्रकार स्मार्टफोन और कंप्यूटर का उपयोग बढ़ता जा रहा है। उससे शारीरिक और माननिक बीमारियों का भी खतरा बढ़ता जा रहा है। एक अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार स्मार्टफोन का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल हमें अनजाने में ही अवसाद की ओर ले जा रहा है। इसलिए जरुरत से ज्यादा फोन का उपयोग न करें। जो लोग फोन का अधिक उपयोग करते हैं, वे बहुत अलग-थलग महसूस करते हैं। ऐसे लोग अकेलापन, उदासी और चिंता महसूस करते हैं। एक अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है। अध्ययन के मुताबिक, जो लोग स्मार्टफोन का अधिक उपयोग करते हैं, वे लगातार गतिविधियों के बीच फोन में खो जाते हैं और अपना ध्यान केंद्रित नहीं रख पाते। स्मार्टफोन की लत हमें मानसिक रूप से थका देती है और आराम नहीं करने देती, इसलिए फोन के सही उपयोग के बारे में जागरूकता पैदा करने की जरूरत है। वहीं विशेषज्ञों का कहना है कि हमारे फोन और कंप्यूटर पर आने वाले नोटिफिकेशन, कंपन और अन्य अलर्ट हमें लगातार स्क्रीन की ओर देखने के की आदत लगाते हैं। शोध के मुताबिक, यह अलर्टनेस कुछ वैसी ही प्रतिक्रिया का परिणाम है जैसा कि किसी खतरे के समय या हमले के समय प्रतीत होता है। इसका मतलब यह है कि हमारा मस्तिष्क लगातार सक्रिय और सतर्क रहता है जो मस्तिष्क की स्वस्थ कार्य प्रणाली के अनुरूप नहीं है। हम लगातार मोबाइन रिंग के साथ ही उसकी गतिविधि की ओर ध्यान रखते हैं और उसके न होने पर बेचैन हो जाते हैं।
विशेषज्ञों की माने तो ‘अगर हमें 30 मिनट तक कोई कॉल न आये तो एक अनजानी चिंता होने लगती है। करीब 30 प्रतिशत मोबाइल उपयोगकर्ताओं में यह समस्या है। फैंटम रिंगिंग 20 से 30 प्रतिशत मोबाइल उपयोगकर्ताओं में मौजूद होती है। इसका मतलब है कि आपको ऐसा महसूस होता है कि आपका फोन बज रहा है और आप बार बार उसे देखते हैं, जबकि ऐसा होता नहीं है। वहीं मोबाइल अधिक उपयोग करने वाले बच्चे अक्सर देर से उठते हैं और स्कूल जाने के लिए तैयार नहीं होते। औसतन, लोग सोने से पहले स्मार्टफोन के साथ बिस्तर में 30 से 60 मिनट बिताते हैं।’ अध्ययन के मुताबिक, सोशल मीडिया प्रौद्योगिकी की लत सामाजिक जीवन पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। इसके जरिए होने वाला संचार आधा-अधूरा होता है और इसे आमने सामने के संचार का विकल्प नहीं माना जा सकता। इसमें शरीर की भाषा और अन्य रिश्तों की गरमाहट का अभाव होता है। साथ ही व्यक्ति समाज से दूर एकाकी रहने लगाता है।