नई दिल्ली , सार्वजनिक बैंकों के कर्मचारियों की दो दिवसीय देशव्यापी हड़ताल से 20 हजार करोड़ रुपये के ग्राहक लेनदेन प्रभावित हो सकते हैं। उद्योग संगठन एसोचैम ने कहा कि उसने बैंक कर्मचारी संघों के संयुक्त मोर्चे यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (यूएफबीयू) से हड़ताल वापस लेने का आग्रह किया है।
एसोचैम ने बयान में कहा कि सार्वजनिक बैंक डूबे कर्ज की मार झेल रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक उनका घाटा मार्च 2018 तिमाही में बढ़कर 50 हजार करोड़ रुपये के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने को है, जो कि इससे पिछली तिमाही में हुए घाटे 19 हजार करोड़ रुपये के दोगुने से अधिक है। एसोचैम के महासचिव डीएस रावत ने कहा कि बैंकों की बेहतर हालत बहाल करने के लिए एसोचैम सरकार से राहत योजना पेश करने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि करीब 10 लाख बैंककर्मियों के हड़ताल पर जाने से देशभर में सार्वजनिक बैंकों की शाखाओं में चेक क्लीयरेंस, खाते से नकदी निकालने और जमा करने से जैसे बैंकिंग कामकाज प्रभावित होंगे।
अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ के महासचिव सीएच वेंकटचलम ने कहा कि यूएफबीयू ने बैंक संघ द्वारा प्रस्तावित दो प्रतिशत वेतन वृद्धि के विरोध में दो दिन की हड़ताल पर जाने का निर्णय किया है, क्योंकि पिछली बार 15 प्रतिशत की वेतन वृद्धि की गई थी।