मुंबई,एसबीआई के नेतृत्व में कई बैंकों ने वीडियोकॉन ग्रुप की दर्जनभर से अधिक कंपनियों के खिलाफ दिवालिया अदालत में अर्जी दाखिल की है। इन कंपनियों से बैंकों को करीब 13,000 करोड़ रुपये की रिकवरी करनी है। बैंकों के इस कदम से इन कंपनियों के लिए कॉम्प्रिहेंसिव रेजॉलुशन प्लान तैयार करने में मदद मिलेगी। मामले से जुड़े सूत्रों ने बताया कि बैंकों ने नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल में केस फाइल करने के लिए चार क्लस्टर्स बनाए हैं। इन क्लस्टर्स को ऑपरेशनल केस के लिए बनाया गया है।
एक सीनियर बैंकर ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया, वीडियोकॉन ग्रुप की कंपनियों को लेकर अलग-अलग बैंकों ने याचिका दाखिल की है,लेकिन उन्हें अभी तक स्वीकार नहीं किया गया है।’ मुंबई की दिवालिया कोर्ट में इन मामलों की सुनवाई हो सकती है। इससे जुड़े बैंकों ने चार अंतरिम रेजॉलुशन प्राफेशनल्स (आईआरपी) की नियुक्ति की है। इनमें सिंघी अडवाइजर्स के दिव्येश देसाई, पीडब्ल्यूसी इंडिया के महेंदर खंडेलवार और कॉस्ट अकाउंटेंट दुष्यंत दवे शामिल हैं। इनमें से हरेक को वीडियोकॉन ग्रुप के एक क्लस्टर की जिम्मेदारी दी गई है। हर क्लस्टर में ग्रुप की तीन सब्सिडियरी कंपनियों को रखा गया है। एक और क्लस्टर जिसमें चार कंपनियां शामिल हैं, उसके लिए चार्टर्ड अकाउंटेंट एविल मैंजेज को आईआरपी बनाया गया है। सूत्रों ने बताया जो भी अपॉइंटमेंट किए गए हैं, उन पर एनसीएलटी की मंजूरी लेनी होगी। हालांकि,आईआरपी के ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए एनसीएलटी उनकी नियुक्ति पर मुहर लगा सकता है। वीडियोकॉन ग्रुप की जिन कंपनियों के खिलाफ दिवालिया कोर्ट में याचिका दायर की गई है,उनमें सेंचरी अप्लायंसेज, वैल्यू इंडस्ट्रीज, ट्रेंड इलेक्ट्रॉनिक्स, स्काई अप्लायंसेज और पीई इलेक्ट्रॉनिक्स शामिल हैं। ये वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज की सब्सिडियरीज हैं,जो कन्ज्यूमर गुड्स की मैन्युफैक्चरिंग, सेल और डिस्ट्रीब्यूशन से जुड़ी हैं। अग्रेंजी अखबार ने पहले खबर दी थी कि एसबीआई के नेतृत्व में बैंक वीडियोकॉन ग्रुप की कंपनियों को दिवालिया कोर्ट में ले जा सकते हैं।
वीडियोकॉन ग्रुप की विदेशी यूनिट्स के पास ऑइल और गैस ब्लॉक्स में हिस्सेदारी है। बैंक इन पर अपना दावा करने की कोशिश करेगा। बैंकरों ने बताया कि ये ऐसेट्स दिवालिया कोर्ट के दायरे से बाहर हैं। इस साल जनवरी में एसबीआई ने विडियोकॉन इंडस्ट्रीज और विडियोकॉन कम्युनिकेशंस के खिलाफ दिवालिया कानून के तहत कार्यवाही शुरू की थी। ये दोनों उन 28 बड़ी डिफॉल्टर कंपनियों में शामिल हैं,जिनकी लिस्ट बैंकों को रिजर्व बैंक ने दी थी। इसके बाद विडियोकॉन ग्रुप के संस्थापक वेणुगोपाल धूत ने आरोप लगाया था कि छोटे बदलाव का बहाना करके एसबीआई ने मूल याचिका में कई बदलाव किए हैं। मार्च में एक अखबार के मुताबिक,धूत ने इस आधार पर एसबीआई की ऑरिजिनल एप्लिकेशन को गलत बताते हुए मामला खारिज करने की दलील दी थी।