नई दिल्ली,देश के प्रधान न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग लाने के लिए सोमवार को कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। कांग्रेस के दो राज्यसभा सांसद प्रताप सिंह बाजवा और हर्षद राय याजनिक सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। दोनों ने सीजेआई के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव खारिज करने के उपराष्ट्रपति के फैसले को लेकर एक पीआईएल दायर की है। बता दें कि उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने बीते दिनों सीजेआई दीपक मिश्रा पर महाभियोग लाने के विपक्ष के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। सीजेआई के बाद सुप्रीम कोर्ट के सीनियर जज चेलमेश्वर इस पीआईएल पर सुनवाई कर सकते हैं। मंगलवार को इस पर अंतिम फैसला होगा। ये पीआईएल कांग्रेस नेता और सुप्रीम कोर्ट में सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल की देखरेख में फाइल की गई है। पीआईएल में कहा गया है, “उपराष्ट्रपति ने महाभियोग प्रस्ताव को खारिज करने का जो फैसला दिया था,वो राजनीति से प्रेरित है। यह लोकतंत्र के खिलाफ और अवैधानिक है। पीआईएल के मुताबिक,महाभियोग प्रस्ताव के खारिज होने के बाद ऐसा लगता है कि राजनीतिक कारण संवैधानिक आधार से ज्यादा अहम हो गए हैं। सीजेआई पर विपक्ष ने आरोप लगाया है कि वह कई संवेदनशील मामलों में एकतरफा फैसले ले रहा हैं। जिस किसी भी तरह से संवैधानिक करार नहीं दिया जा सकता। पीआईएल में यह भी कहा गया है कि उपराष्ट्रपति ने बिना सोच-विचार के जल्दबाजी में फैसला कर इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया था।
दरअसल, बीते दिनों कांग्रेस के नेतृत्व में 7 राजनीतिक पार्टियों के करीब 64 सांसदों ने सीजेआई के खिलाफ महाभियोग के प्रस्ताव पर साइन किए थे। जिसके बाद इसका नोटिस उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू को सौंपा गया था। नोटिस सौंपने के 36 घंटे के अंदर उपराष्ट्रपति ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने सीजेआई दीपक मिश्रा को पद से हटाने को लेकर कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दलों की ओर से दिए गए नोटिस पर संविधानविदों और कानूनी विशेषज्ञों से विचार-विमर्श किया था। उन्होंने खास तौर पर भारत के अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल से इस बारे में राय ली थी। जिसके बाद उन्होंने विपक्ष का महाभियोग प्रस्ताव खारिज कर दिया। विपक्ष ने सीजेआई पर पांचवा आरोप जमीन अधिग्रहण का लगाया है। विपक्ष के मुताबिक,जस्टिस दीपक मिश्रा ने 1985 में एडवोकेट रहते हुए फर्जी एफिडेविट दिखाकर जमीन का अधिग्रहण किया था। एडीएम के आवंटन रद्द करने के बावजूद ऐसा किया गया था। हालांकि,साल 2012 में सुप्रीम कोर्ट पहुंचने के बाद उन्होंने जमीन सरेंडर कर दी थी।
इस बीच कपिल सिब्बल ने कहा कि अगर जस्टिस दीपक मिश्रा सीजेआई के पद पर बने रहे, तो वो आगे से कभी भी उनकी कोर्ट में पेश नहीं हो सकते है। सीजेआई दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव खारिज होने से नाराज पूर्व कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने इस गैरकानूनी और असंवैधानिक बताया था। उन्होंने उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू के फैसले पर कहा था कि अगर वह तकनीकी पक्ष जानने के लिए वकीलों से बात कर लेते तो शायद यह फैसला नहीं लिया जाता।