कर्नाटक में 391 उम्मीदवारों के खिलाफ दर्ज हैं आपराधिक मामले

बेंगलुरु,कर्नाटक विधानसभा चुनाव में चंद रोज ही बचे हैं। राज्य में जीत के लिए राजनीतिक पार्टियों ने एड़ी-चोटी का जोर लगाया है। यहां तक कि दागियों और भ्रष्टाचार का आरोप झेल रहे नेताओं को भी टिकट देने से परहेज नहीं किया। इस सिलसिले में सबसे आगे है बीजेपी, जिसके 224 उम्मीदवारों में से 83 (37 फीसदी) कई आपराधिक मामलों में लिप्त हैं। बीजेपी के बाद दूसरे नंबर पर सत्तारूढ़ कांग्रेस है, जिसके 220 में से 59 उम्मीदवारों के खिलाफ क्रिमिनल केस दर्ज हैं, वहीं जेडीएस के 199 में से 41 उम्मीदवार ऐसे मामलों का सामना कर रहे हैं। चुनाव से जुड़े आंकड़े बताने वाले संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने रविवार को एक सर्वे की यह रिपोर्ट जारी की। इसके अनुसार, 2013 विधानसभा चुनाव के मुकाबले 2018 में आपराधिक मामलों में फंसे उम्मीदवारों की संख्या 334 से 391 हो गई है। एडीआर का यह विश्लेषण उम्मीदवारों द्वारा दाखिल हुए हलफनामे पर आधारित है, जिसमें 2560 में से 391 उम्मीदवारों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं। एडीआर के फाउंडर और ट्रस्टी त्रिलोचन शास्त्री का कहना है, लोगों को उम्मीद होगी कि पार्टियां कानून का पालन करने और ईमानदारी के संदर्भ में सुधार दिखाएं। इसके विपरीत राजनीतिक पार्टियों ने आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों को टिकट देने में बढ़ोतरी की है। अब मतदाताओं के ऊपर है कि इन्हीं में से सर्वश्रेष्ठ को वह चुनें। बीजेपी ने गंभीर आपराधिक मामलों में फंसे उम्मीदवारों को चुनने में भी बड़ा स्कोर बनाया है। एक गंभीर आपराधिक मामले में दोषी को कम से कम पांच साल की सजा हो सकती है। बीजेपी के 58 (26 फीसदी) उम्मीदवार गंभीर मामलों में लिप्त हैं। वहीं कांग्रेस के 32 यानी 15 फीसदी और जेडीएस के 29 (15 फीसदी) उम्मीदवार ऐसे हैं। गंभीर मामलों का सामना कर रहे उम्मीदवारों की संख्या भी 2013 में 195 से इस बार 254 हो गई है। चार उम्मीदवारों के खिलाफ हत्या का आरोप और 25 उम्मीदवारों के खिलाफ हत्या के प्रयास का मामला दर्ज है। इनमें से 23 उम्मीदवार महिलाओं के खिलाफ अपराध में फंसे हैं, जैसे-उत्पीड़न, शीलभंग के उद्देश्य से किसी महिला के खिलाफ आपराधिक बल का इस्तेमाल करना। 2013 में 12 उम्मीदवारों ऐसे मामलों में फंसे थे। एडीआर ने 56 विधानसभा सीटों को लाल घेरे में रखा है, जहां तीन या इससे अधिक उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले हैं। इनमें कोलार और कोप्पल सीटें भी शामिल हैं, जहां छह उम्मीदवार स्वयं के खिलाफ आपराधिक मामले बता चुके हैं। इसी तरह संपत्ति घोषित करने के मामले में 447 ऐसे उम्मीदवार हैं, जिनकी संपत्ति पांच करोड़ से अधिक है। अमीर उम्मीदवारों में से कांग्रेस के प्रिया कृष्णा (गोविंदराजानगर) हैं, जिनकी संपत्ति 1020 करोड़ है। वहीं होसकोटे से एमटीबी नागराज की घोषित संपत्ति 1015 करोड़ और डीके शिवकुमार के पास 840 करोड़ के करीब संपत्ति है।

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