मुंबई,अल्ट्राटेक सीमेंट ने बताया कि उसने नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (एनसीएलटी) के आदेश के बाद बिनानी सीमेंट को खरीदने के लिए नई बोली लगा दी है। सूत्रों ने बताया कि बिनानी की एक और दावेदार डालमिया भारत इस बोली की बराबरी नहीं करेगी। उसका कहना है कि अल्ट्राटेक का बिनानी के लिए नए सिरे से बोली लगाना गैरकानूनी है। डालमिया भारत ने एनसीएलटी के आदेश पर स्टे के लिए अपीलेट ट्राइब्यूनल में याचिका दायर की थी। एनसीएलएटी ने उसकी मांग खारिज करते हुए डालमिया की याचिका स्वीकार की है। इस मामले में अगली सुनवाई 22 मई को होगी,जिसके बाद डालमिया भारत अगला कदम तय करेगी।
एनसीएलटी ने 2 मई को बिनानी को कर्ज देने वाले बैंकों की समिति (सीओसी यानी कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स) से अल्ट्राटेक की संशोधित बोली पर विचार करने को कहा था। अल्ट्राटेक ने उस समय तक 7,990 करोड़ रुपये की बोली बिनानी के लिए लगाई थी। एनसीएलटी का मानना था कि इससे बैंकों को बिनानी सीमेंट को दिए गए लोन की अधिक से अधिक रिकवरी संभव होगी। वहीं,एनसीएलएटी ने डालमिया भारत को कहा कि वह चाहे तो अल्ट्राटेक के बराबर बोली लगा सकती है। डालमिया भारत ने बिनानी को खरीदने के लिए जो कीमत ऑफर की थी,अल्ट्राटेक की बोली 1,290 करोड़ रुपये अधिक थी। हालांकि, उसकी हालिया बोली की रकम की जानकारी नहीं मिली है। अल्ट्राटेक के संशोधित बोली जमा कराने के बाद बिनानी के रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल ने डालमिया भारत से संपर्क नहीं किया है।
वहीं,अल्ट्राटेक के हक में एनसीएलटी के आदेश के बाद डालमिया भारत ने कहा था कि उस एनसीएलटी के फैसले से हैरानी हुई है और वह सारे जरूरी कदम उठाएगी। कंपनी के पास सुप्रीम कोर्ट में भी जाने का रास्ता खुला हुआ है। हालांकि, उससे पहले डालमिया भारत एनसीएलएटी के फैसले का इंतजार करेगी।
डालमिया के लिए अल्ट्राटेक की बोली की बराबरी करना दो बातों पर निर्भर करता है। पहला, डालमिया ने बेन पिरामल रिसर्जेंस फंड के साथ मिलकर बिनानी के लिए बोली लगाई थी। प्राइवेट इक्विटी फंड दिवालिया कंपनियों से वैल्यू क्रिएट करने के मॉडल पर काम करते हैं। उनके पास ऐसी कंपनियों को खरीदकर उन्हें मुनाफे में लाने का तजुर्बा होता है। आमतौर पर वे दिवालिया कंपनियों में पांच साल तक बने रहते हैं। सीमेंट सेक्टर के एक एनालिस्ट ने नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर बताया कि अल्ट्राटेक की बोली की बराबरी करने पर पीई फंड को 20-25 प्रतिशत इंटरनल रेट ऑफ रिटर्न (आईआरआर) से हाथ धोना पड़ सकता है या उस कंपनी में पांच साल से अधिक समय तक बने रहना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि डालमिया भारत बिनानी को खरीदने के लिए अपनी बैलेंस शीट पर कर्ज का बोझ नहीं बढ़ाना चाहेगी। अभी कंपनी पर करीब 4,000 करोड़ का कर्ज है। अल्ट्राटेक के 8,000 करोड़ रुपये के ऑफर की बराबरी के लिए बेन पिरामल के 4,000 करोड़ रुपये के साथ डालमिया को 4,000 करोड़ रुपये लगाने होंगे। दरअसल, दोनों ने जिस वेंचर के जरिये बिनानी के लिए बोली लगाई है, उसमें उनकी बराबर की हिस्सेदारी है।