उज्जैन,मप्र में शादी से पहले दलितों को पुलिस को सूचना देने वाले एसडीएम के आदेश को विवाद होने के बाद आखिरकार निरस्त कर दिया गया। दरअसल महिदपुर के एसडीएम जगदीश गोमे ने आदेश जारी कर कहा था कि अगर किसी शख्स को इस बात का डर है कि उसके विवाह समारोह में कोई दबंग विवाद कर सकता है इस परेशानी से बचने के लिए वहां 2 दिन पहले संबंधित पुलिस थाने में सूचना दें। एसडीएम का यह प्रदेश की शिवराज सरकार के लिए परेशानी पैदा करने वाला बन गया। कांग्रेस ने भी इसका विरोध किया था। नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा था शिवराज सरकार प्रदेश की जनता के लिए अंग्रेजों का कानून लागू कर रही है। दलितों को अब बारात निकालने के लिए अनुमति लेना होगी ऐसा तो अंग्रेजों के राज में गुलामी के दौरान भी नहीं हुआ। एक ओर दलितों के घर रूकने और खाना-खाने का पाखंड भाजपा कर रही है दूसरी ओर इस तरह के आदेश दे रही है,जिससे उनका अपमान हो रहा है। नेता प्रतिपक्ष श्री सिंह ने उज्जैन जिला प्रशासन द्वारा दलितों को बारात निकालने के पहले सूचना देने और अनुमति लेने के आदेश को, प्रदेश के सामाजिक समरसता के वातावरण के लिए कलंक बताया। श्री सिंह ने कहा कि शिवराज में सुनियोजित रूप से दलितों को अपमानित किया जा रहा है। हाल ही में धार में आदिवासी एवं दलित नौजवानों की छाती पर जातिसूचक शब्द लिखे गए, फिर एक ही कमरे में महिला पुरूष का मेडिकल किया गया। यह घटनाएं बताती है कि शिवराज सरकार किस तरह दोयम दर्जे का व्यवहार अपने प्रदेश के नागरिकों के साथ कर रही है। प्रदेश में दलित शिव-राज में सुरक्षित नहीं हैं,यह आदेश इसकी पुष्टि करता है। नेता प्रतिपक्ष श्री सिंह ने कहा कि इसके पूर्व केंद्रीय मंत्री सुश्री उमा भारती ने दलित परिवार के घर खाना खाने से इंकार कर दिया था, वहीं भाजपा दलित के घर रूकने और खाना खाने का पाखंड कर रही है। नेता प्रतिपक्ष श्री सिंह ने कहा कि यहीं भाजपा का असली चाल-चरित्र चेहरा और दोमुंही नीति है।
दरअसल,प्रशासन ने यह कदम बीते दिनों उज्जैन के नाग गुराडियां गांव में एक दलित दूल्हे को सवर्णों द्वारा घोड़ी से जबरन उतारे जाने की घटना को देखते हुए उठाया था। माहिदपुर के सब डिविजनल मजिस्ट्रेट जगदीश गोमे ने एक सर्कुलर जारी कर सरपंचों और पंचायत सचिवों को दलितों के घर होने वाली शादियों को लेकर सतर्क रहने के लिए कहा था। एसडीएम ने अपने इस फरमान के पीछे दुल्हे और बारात को सुरक्षा मुहैया कराने का तर्क दिया। अधिकारियों ने सभी सरपंचों व सचिवों को जारी कर दिए थे। लेकिन ये आदेश दलित समाज के लिए विशेष रुप से जारी करने के बाद विवाद की स्थिति बन गई। दलित समाज और अन्य पिछले समाज इसके विरोध में उतर आए। स्थिति देखते हुए नवागत कलेक्टर मनीष सिंह ने तत्काल एसडीएम को तलब किया और आदेश को निरस्त कर दिया।