जस्टिस जोसेफ की नियुक्ति पर कल विचार करेगा कोलेजियम

नई दिल्ली,जस्टिस केएम जोसेफ की सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति को लेकर विवाद के बीच मंगलवार को जस्टिस मदन लोकुर कोर्ट ज्वाइन करने वाले हैं। जस्टिस लोकर छुट्टियों के बाद कोर्ट लौट रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को कोलेजियम सरकार की उस चिट्ठी पर विचार करेगा जो जस्टिस जोसेफ की नियुक्ति से जुड़ा है। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने जस्टिस केएम जोसेफ की नियुक्ति से जुड़ी फाइल को वापस कर दिया था, जिसपर काफी हंगामा मचा है। सूत्रों की मानें तो लौटी फाइल के मुद्दे पर अब सुप्रीम कोर्ट विस्तार से चर्चा करेगा। सुप्रीम कोर्ट के सूत्रों की मानें तो ये लगभग तय है कि सरकार की दलीलों में दम नहीं है। सरकार ने क्षेत्रीय संतुलन और वरिष्ठता को लेकर जो दलीलें दी हैं वह सिर्फ बचाव का ही आधार है। क्योंकि इससे पहले भी कई बार ऐसा हुआ है कि इन आधारों के बावजूद जजों की नियुक्ति हुई है। न्यायपालिका के इतिहास पर गौर करे तो देश के चीफ जस्टिस बने जस्टिस पी.सदाशिवम या फिर जस्टिस केजी बालकृष्णन की नियुक्ति में भी इसतरह किसी आधार की दलील नहीं दी गई थी। तब सब कुछ जायज हुआ था,जस्टिस पी.सदाशिवम रिटायरमेंट के बाद राज्यपाल तक बन गए।
वरिष्ठता के बावजूद हाईकोर्ट में मौजूद कई जज अबतक किसी दूसरे राज्य के हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस के रूप में नियुक्ति का इंतजार कर रहे हैं। दिल्ली हाईकोर्ट को अबतक स्थायी चीफ जस्टिस का इंतजार ही है। दिल्ली हाईकोर्ट की कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जस्टिस गीता मित्तल अबतक किसी दूसरे हाईकोर्ट में स्थायी चीफ जस्टिस पद के लिए इंतजार ही कर रही हैं। इस पूरे विवाद में दरअसल जस्टिस केएम जोसेफ की फाइल लटकाये जाने के पीछे राजनीतिक कारण बताया जा रहा है। ये अलग बात है कि जस्टिस जोसेफ के फैसलों की फांस कलेजे में चुभे होने के बावजूद सरकार, उनके मंत्री और अधिकारी इस बात से इंकार करते हैं। वजह नियम कायदे और कानून के पेंच फंसा होना बताई जा रही है। सरकार ने ये भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक सरकार को कोलेजियम की सिफारिशें अपनी आपत्तियों के साथ फिर से विचार के लिए वापस भेजने का अधिकार सरकार का है। सरकार उसी अधिकार का इस्तेमाल कर रही है। इसके साथ ही कोलेजियम को सुझाव भी भेजा है कि सुप्रीम कोर्ट में अनुसूचित जाति और जनजाति का प्रतिनिधित्व करने वाले एक भी न्यायमूर्ति नहीं है। क्यों ना कोलेजियम इस बारे में भी विचार करें। लेकिन अब तो ये तय है कि कोलेजियम ने दोबारा जस्टिस जोसफ के नाम की सिफारिश सरकार को भेज दी तो मामला फंसेगा। सरकार अगला पैंतरा क्या अपनाएगी ये देखना दिलचस्प होगा क्या सीने पर पत्थर रखकर जस्टिस जोसेफ को सुप्रीम कोर्ट में शपथ लेता हुआ देखेगी या कोई और कानूनी फच्चर फंसाएगी?

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