नई दिल्ली,सभी दालों में चने की दाल सबसे ज्यादा गुणों वाली होती है। 100 ग्राम चने की दाल में 10-11 ग्राम फाइबर, 20 ग्राम प्रोटीन और सिर्फ पांच ग्राम फैट होता है। यह दाल शरीर में आयरन की कमी को पूरा करती है और हीमॉग्लोबिन का स्तर बढ़ाने में भी मददगार है। आयुर्वेदाचार्य डॉ. जीसी भट्ट की मानें, तो चने की दाल पेट के लिए भी काफी फायदेमंद होती है। इसमें फैट कम और फाइबर ज्यादा होता है, जिससे बीमारियां दूर रहती हैं। चने की दाल खाने से आयरन की कमी पूरी होती है। इसमें मौजूद फॉस्फॉरस और आयरन नई रक्त कोशिकाओं को बनाने में सहायक होते हैं और हीमॉग्लोबिन के स्तर को भी बढ़ाते हैं, जिससे एनीमिया होने की संभावना कम हो जाती है। चने की दाल खाने से पीलिया में भी काफी फायदा होता है। पीलिया की बीमारी में चने की 100 ग्राम दाल में दो गिलास पानी डालकर चने को भिगो लें और दाल से पानी को अलग कर लें। फिर उस दाल में 100 ग्राम गुड़ मिलाकर 4-5 दिन तक रोगी को देते रहें। चने की दाल में फाइबर की मात्रा काफी ज्यादा होती है। चने की दाल खाने से कई बीमारियों में फायदा मिलता है। फाइबर से भरपूर होने के चलते चने की दाल का सेवन वजन कम करने में मदद करता है। फाइबर की वजह से पेट हमेशा भरा-भरा सा रहता है और भूख कम लगती है। चने की दाल खाने से कलेस्ट्रॉल कम होता है, जो पाचन तंत्र को ठीक तरह से काम करने में मदद करता है। चने की दाल खाने से कब्ज की समस्या में भी आराम मिलता है।