रायपुर,छत्तीसगढ़ सरकार भले ही वन्य प्राणियों के सरंक्षण पर करोड़ों रूपए खर्च करने की बात कर रही है। लेकिन यहां तस्करों के हौसले बेहद बुलंद हैं। वन विभाग से मिली एक रिपोर्ट ही इसकी पुष्टि करती है। छत्तीसगढ़ में वन विभाग ने तस्करों से पिछले चार सालों में 17 बाघों की खाल और 10 सालों में 51 तेंदुएओं की खाल जब्त की है। छत्तीसगढ़ में वन्य प्राणियों के सरंक्षण के नाम पर तमाम तरीके से योजनाएं चलाई जा रही है। करोड़ों रूपए इसके लिए खर्च करने के दावे भी किए जा रहे हैं। वहीं सरकार बाघ और तेंदुओं की सुरक्षा करने में पूरी तरह से नाकाम साबित हो रही है। वन्य जीव संरक्षण कार्यकर्ता नितिन संघवी ने कहा कि छत्तीसगढ़ में बाघ और तेंदुओं का शिकार बदस्तूर जारी है। वन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक फरवरी 2018 में मैनपुर से मिली बाघ की खाल को छोड़ दें तो छत्तीसगढ़ के वाईल्ड लाईफ एनिमल एंड टी पोचिंग डेटाबेस के आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2014 से 2017 के बीच चार सालों में 17 बाघों की खालें जब्त की गईं। केवल कांकेर वनमंडल से 20 तेंदुए की खालें जब्त की गईं। कांकेर वनमंडल उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व से लगा हुआ है। फरवरी में यहीं के बाघ की खाल जब्त हुई थी। इसी दौरान रायपुर वनमंडल में भी पांच तेंदुओं का शिकार हुआ। नितिन सिंघवी ने राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के सदस्य सचिव को आंकड़ों से अवगत कराते हुए जांच कराने पत्र लिखा है। इतनी बड़ी संख्या में बाघ और तेंदुओं की खाल बरामद होने से अब वनविभाग पर कई सवाल उठ रहे हैं।