रायबरेली,कांग्रेस को उसके ही दुर्ग में घेरने की रणनीति के तहत भाजपा अध्यक्ष अमित शाह शनिवार को रायबरेली में हैं। रायबरेली यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी का संसदीय क्षेत्र है। कुछ दिन पहले ही केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी अमेठी के दौरे से वापस लौटी हैं, जो कि राहुल गांधी का संसदीय क्षेत्र है। भाजपा ने पिछले लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी को अमेठी में घेरने का प्रयास किया था, जिसके बाद कांग्रेस को अपना किला बचाने में पसीने छूट गए थे। भाजपा सोनिया गांधी को रायबरेली में और राहुल गांधी को अमेठी में घेरने की योजना बनाई है। यही वजह है कि केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी लगातार अमेठी दौरों पर आती रही हैं। उन्होंने यहां 80 से अधिक विकास कार्य कराए हैं। स्मृति ईरानी के दबाव में राहुल ने भी अपने अमेठी दौरे बढ़ा दिए हैं।
राहुल की बात का जवाब
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह रायबरेली के दौरे पर पहुंचे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने हाल ही में कहा था कि सपा, बसपा और कांग्रेस मिलकर चुनाव लड़ेंगी, तो पीएम नरेंद्र मोदी वाराणसी से चुनाव हार जाएंगे। राहुल पर भाजपा ने पलटवार करते हुए कहा था कि राहुल पीएम मोदी की नहीं, अमेठी और रायबरेली की चिंता करें। शाह का रायबरेली दौरे को अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारियों से जोड़कर देखा जा रहा है।
भाजपा ने तैयार किए मोहरे
शाह के दौरे में कांग्रेस का किला भेदने की योजना है। कांग्रेस से नाराज एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह अपने और उनके भाई अवधेश प्रताप सिंह सहित कई जिला पंचायत सदस्य और ब्लाक प्रमुख भाजपा की सदस्यता ग्रहण करने वाले हैं। हालांकि दिनेश सिंह के भाई विधायक राकेश प्रताप कांग्रेस नहीं छोड़ेंगे। रायबरेली के बदलते सियासी समीकरण के बीच शाह का दौरा मायने रखता है।
हो सकती है भाजपा में इंट्री
दिनेश सिंह रायबरेली की सियासत में एक बड़ा चेहरा हैं। वह जहां खुद एमएलसी हैं, वहीं उनके एक भाई हरचंद्रपुर से विधायक हैं, जबकि एक भाई जिला पंचायत अध्यक्ष हैं। तीनों ने कांग्रेस के टिकट पर जीत दर्ज की है। उनका भाजपा में शामिल होना कांग्रेस के लिए बड़ा झटका होगा।
अजय अग्रवाल नहीं दे सके थे टक्कर
पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने सोनिया गांधी के सामने अजय अग्रवाल को मैदान में उतारा था। मोदी लहर के बावजूद वह सोनिया के सामने कड़ी चुनौती पेश नहीं कर सके थे। यही वजह है कि सोनिया ने करीब तीन लाख से ज्यादा मतों से भाजपा उम्मीदवार को पराजित किया था। ऐसे में भाजपा ने 2019 में रायबरेली की घेराबंदी करने की रणनीति बनाई है। माना जा रहा है कि भाजपा दिनेश सिंह को सोनिया गांधी के सामने उतार सकती है।
प्रियंका को जमाना पड़ा था अमेठी में डेरा
गौरतलब है कि 2014 के चुनाव में भाजपा ने कांग्रेस को अमेठी में घेरने की रणनीति के तहत राहुल गांधी के सामने स्मृति ईरानी को मैदान में उतारा था। ईरानी के खिलाफ राहुल को जीतने में पसीने छूट गए। हालत यह हो गई थी कि प्रियंका गांधी को अमेठी में डेरा जमाना पड़ा था। इसके बाद कहीं जाकर राहुल एक लाख वोटों से जीत सके थे, जबकि इससे पहले वह तीन लाख से ज्यादा वोटों से जीत हासिल कर चुके हैं।
स्मृति को दिया तोहफा
स्मृति ईरानी भले ही चुनाव हार गई थीं, लेकिन राहुल के सामने लड़ने का पीएम मोदी ने तोहफा दिया और मंत्री बनाकर अपनी कैबिनेट में शामिल किया। ईरानी पिछले चार साल से अमेठी में सक्रिय हैं। वह लगातार अमेठी का दौरा कर रही हैं और स्थानीय मुद्दों को उठाकर कांग्रेस आलाकमान को घेरती रहती हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में अमेठी संसदीय क्षेत्र के तहत आने वाली सभी सीटें कांग्रेस हार गई थी, जबकि वह सपा के साथ गठबंधन करके चुनाव मैदान में थी।