आर्थिक अपराध के खिलाफ अध्यादेश को कैबिनेट की मंजूरी

नई दिल्ली,आर्थिक अपराध कर देश छोड़कर भागने वाले अपराधियों पर नकेल कसने का रास्ता साफ हो गया है। कैबिनेट ने शनिवार को आर्थिक अपराध अध्यादेश 2018 को मंजूरी दे दी है। इससे ऐसे लोगों की संपत्ति को जब्त करने से जुड़े मामलों में मदद मिलेगी।
केंद्र ने 12 मार्च को लोकसभा में भगोड़ा आर्थिक अपराधी बिल 2018 पेश किया था। लेकिन, हंगामे के चलते यह पास नहीं हो पाया। यही वजह है कि सरकार अब इसे अध्यादेश के रूप में लाई है।
अध्यादेश के प्रावधान के मुताबिक, फाइनेंशियल फ्रॉड कर रकम चुकाने से इनकार करने वालों पर कार्यवाही की जा सकेगी। आर्थिक अपराध में जिनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया हो। 100 करोड़ रुपए से ज्यादा बकाया वाले बैंक लोन डिफॉल्टर्स पर। भगोड़े आर्थिक अपराधियों की संपत्तियां बेचकर भी कर्ज की भरपाई की जा सकेगी।
क्या देना होगा याचिका में
अध्यादेश के अनुसार, डायरेक्टर या डिप्टी डायरेक्टर स्तर का अधिकारी किसी आरोपी को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित कर सकेगा। इसके लिए विशेष अदालत में पर्याप्त सबूत के साथ याचिका देनी होगी।
– आरोपी के पते-ठिकानों और संपत्तियों का ब्यौरा
– जब्त किए जाने योग्य बेनामी संपत्तियों और विदेशी संपत्तियों की सूची
– ऐसी संपत्तियों से जुड़े लोगों की जानकारी भी देना होगी
6 सप्ताह में होना होगा पेश
आवेदन मिलने के बाद विशेष अदालत आरोपी को छह सप्ताह में पेश होने के लिए नोटिस जारी करेगा। अगर आरोपी तय जगह पर पेश हो जाता है तो कोर्ट भगोड़ा आर्थिक अपराध बिल के तहत कार्रवाई नहीं करेगा।

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