लखनऊ,भाजपा अगले आम चुनाव में रायबरेली और अमेठी लोकसभा सीटों पर गांधी परिवार से छीनने की कोशिश कर रही है, तो मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) ने दोनों सीटों पर कोई उम्मीदवार ही नहीं उतारने का निर्णय लिया है। मायावती के करीबी बीएसपी नेताओं ने इस बात की पुष्टि की और कहा कि इस कदम से वोट बिखरेंगे नहीं और इस तरह इन दोनों सीटों पर भाजपा, कांग्रेस की सीधी टक्कर में कांग्रेस भारी पड़ेगी। समाजवादी पार्टी अमेठी में 2004 से और रायबरेली में 2009 के लोकसभा चुनावों से ही इन दोनों सीटों पर कोई उम्मीदवार नहीं उतार रही है। एक वरिष्ठ बीएसपी नेता ने कहा अगर समाजवादी पार्टी के साथ लोकसभा चुनाव में गठबंधन होता है, तो इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता कि बीएसपी रायबरेली और अमेठी में कोई उम्मीदवार नहीं उतारे। अगर ऐसा हुआ तो बीएसपी के हिस्से का वोट भी कांग्रेस को ही जाएगा। एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने स्वीकार किया कि अमेठी में त्रिकोणीय मुकाबला हुआ तो रिजल्ट पार्टी के पक्ष में ही जाएगा। भाजपा ने रायबरेली सीट आखिरी बार सन 1996 और सन 1998 के लोकसभा चुनावों में जीती थी। इसके बाद इस सीट पर कांग्रेस के खिलाफ भाजपा का प्रदर्शन बेहद खराब रहा, जबकि बीएसपी फिर भी वोटों के मामले में आगे थी।
2009 के लोकसभा चुनाव में बीएसपी का अमेठी में वोट शेयर 14 फीसदी और रायबरेली में 16 फीसदी था, जबकि भाजपा का इन दोनों सीटों पर वोट शेयर क्रमशः 4 और 6 फीसदी था। हालांकि 2014 के चुनाव में स्मृति इरानी के अमेठी से चुनाव मैदान में उतरने के बाद भाजपा का वोट शेयर 34 फीसदी हो गया और रायबरेली में यह 21 फीसदी रहा। सूत्रों ने बताया कि विपक्षी पार्टियां पहले से ही सीट शेयरिंग के फॉर्म्युले पर काम कर रही हैं।