जज लोया के मौत की एसआईटी जांच वाली याचिका खारिज,न्यायपालिका को बदनाम करने की कोशिश : सुको

नई दिल्ली, सीबीआई जज बीएच लोया की मौत के मामले की निष्पक्ष जांच कराने की मांग वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुनाते हुए गुरुवार को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि इस मामले में कोई जांच नहीं होगी, केस में कई आधार नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चार जजों के बयान पर संदेह का कोई कारण नहीं है। उनके बयान पर संदेह करना संस्थान पर संदेह करना जैसा होगा। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड की बेंच का फैसला सुनाया है। कोर्ट को तय करना था कि लोया की मौत की जांच एसआईटी से कराई जाए या नहीं। कोर्ट ने यह भी कहा कि मामले के जरिए न्यायपालिका को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है।
कांग्रेस नेता तहसीन पूनावाला, पत्रकार बीएस लोने, बांबे लॉयर्स एसोसिएशन सहित अन्य कई पक्षकारों की ओर से दायर विशेष जज बीएच लोया की मौत की निष्पक्ष जांच की मांग वाली याचिकाओं पर चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने फैसला सुनाया। इससे पहले बेहद चर्चित और विवादास्पद मामले की सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील और पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने दलील दी थी कि याचिकाकर्ता सिर्फ इस मामले को तूल देना चाहते हैं। याचिकाकर्ता यह संदेश फैलाने की कोशिश कर रहे हैं कि जज, पुलिस, डॉक्टर सहित सभी की मिलीभगत रही।
गौरतलब है कि राजनीतिक रूप से बेहद संवेदनशील सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले की सुनवाई करने वाले जज लोया की 30 नवंबर 2014 को मौत हो गई थी और तीन साल तक किसी ने इस पर सवाल नहीं उठाए। ये सारे सवाल कारवां की नवंबर 2017 की खबर के बाद उठाए गए जबकि याचिकाकर्ताओं ने इसके तथ्यों की सत्यता की जांच नहीं की 29 नवंबर से ही लोया के साथ मौजूद चार जजों ने अपने बयान दिए हैं और वो उनकी मौत के वक्त भी साथ थे। वहीं कांग्रेसी नेता तहसीन पुनावाला, पत्रकार बीएस लोन, बांबे लॉयर्स एसोसिएशन सहित अन्य द्वारा विशेष जज बीएच लोया की मौत की निष्पक्ष जांच की मांग वाली याचिकाओं पर चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

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